मानव सभ्यता के इतिहास में जितनी प्राचीन भवन निर्माण कला है उसी प्रकार वास्तु कला भी प्राचीन इतिहास में अपना प्रमुख स्थान रखती है। इसकी विश्वसनीयता एवं प्राचीनता इसी बात से स्पष्ट है कि वास्तु के ऊपर अनेक प्राचीन ग्रन्थ लिखे गए तथा पुराणों में भी इसका उल्लेख है।
वास्तु का जिक्र आते ही पहला सवाल जो मन में उठता है वह यह कि वास्तु है क्या? दरअसल वास्तु एक विज्ञान है जो पांच तत्वों पर आधारित है – पृथ्वी, जल, अग्नि,वायु, आकाश और इन पंच तत्वों का भवन में उचित समायोजन ही वास्तु है।
अगर वास्तु के लिए पंच महाभूतों की भूमिका महत्वपूर्ण है तो क्या किसी प्रकार का वास्तु दोष यंत्रों, मंत्रों, शो पीस, पिरामिड आदि के द्वारा दूर हो सकता है? आज व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के दौर में वास्तु का भी पूर्ण व्यवसायीकरण होता जा रहा है। इसके कारण जनमानस में भ्रम की स्थिति निर्मित हो रही है। आम इंसान के लिए समझना ही मुश्किल है कि किसी वास्तु दोष की स्थिति में उसके लिए कौन सा उपाय उचित होगा।
यन्त्र, मंत्र एवं मांगलिक चिन्हों का अपना धार्मिक महत्त्व है, इनसे उत्पन्न होने वाली ऊर्जा से व्यक्ति की सकारात्मक सोच विकसित होती है। वर्तमान में आस्था के प्रतीक मांगलिक चिन्ह स्वस्तिक का दुरूपयोग तांबे एवं प्लास्टिक के स्वस्तिक पिरामिड बना कर किया जा रहा है।
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इजिप्ट में इन पिरामिडों का उपयोग शव को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता था। परंतु आज इसकी आकृति को पवित्र स्वस्तिक के साथ उपयोग कर हमारी आस्था का अपमान हो रहा है। कतिपय लोगों ने अपने निजी लाभ के लिये धार्मिक प्रतीक चिन्हों को पिरामिड रूप में प्रस्तुत कर वास्तु से जोड़ दिया है जो सर्वथा गलत एवं अवैज्ञानिक है। हालांकि इसके पक्ष और विपक्ष में कई तर्क भी दिए जा सकते हैं पर इसे व्यापक रूप में देखा जाना चाहिये।
विभिन्न दिशाओं के दोषों को दूर करने के लिए ज्योतिष के आधार पर दिशाओं के स्वामी के प्रतिनिधित्व रंग के अनुसार रंगों का उपयोग करने की सलाह दी जाती है वहीं अनुचित दिशा में बढे प्लाट के कुप्रभाव को समाप्त करने के लिए भी उपाय बताए जाते हैं। इस पर भी अलग-अलग राय बनती है।
मेरे विचार से प्लाट में दोषपूर्ण बढ़ाव से उत्पन्न होने वाले कुप्रभाव से बचने का एकमात्र तरीका है कि कम से कम चार फीट ऊंची दीवार खड़ी करके उस हिस्से को अलग कर दिया जाये।
फेंगशुई की अनेक वस्तुओं से वास्तु का बाजार गर्म है । सवाल उठाया जाना चाहिये कि क्या इनके द्वारा पंच महाभूतों का संयोजन हो सकता है ? यदि नहीं तो ये उपाय वास्तु दोष दूर करने में कैसे कारगर हैं? वास्तु विज्ञान को विज्ञान की कसौटी पर की कसना चाहिए जो पूर्णतया वैज्ञानिक एवं शास्त्र सम्मत है |।
वास्तु एक विज्ञान है ‘भ्रामक प्रचार’ से बचें – vaastu ek vigyaan hai bhraamak prachaar se bachen – वास्तु शास्त्र टिप्स – vastu shastra tips