किसी भी भवन का वास्तु सबसे प्रधान होता है! यही तय करता है कि इस भवन में रहने वालों के क्या दशा-दिशा होगी! इसलिए वास्तु शास्त्र में वर्णित कुछ साधारण नियमों को मानना ही चाहिए!
वास्तु शास्त्र एक अत्यंत प्रमाणित प्राचीन विद्या है! लेकिन कई बार लाख सावधानी बरतने पर भी किसी भवन में कुछ वास्तु दोष रह जाते हैं! तो प्रस्तुत हैं वास्तु शास्त्र के मूल नियम और सावधानियां जिनका पालन कर सुख-समृद्धि से रहा जा सकता है!
किसी भी भवन का वास्तु सबसे प्रधान होता है! यही तय करता है कि इस भवन में रहने वालों के क्या दशा-दिशा होगी! इसलिए वास्तु शास्त्र में वर्णित कुछ साधारण नियमों को मानना ही चाहिए!
वास्तु शास्त्र एक अत्यंत प्रमाणित प्राचीन विद्या है! लेकिन कई बार लाख सावधानी बरतने पर भी किसी भवन में कुछ वास्तु दोष रह जाते हैं! तो प्रस्तुत हैं वास्तु शास्त्र के मूल नियम और सावधानियां जिनका पालन कर सुख-समृद्धि से रहा जा सकता है!
किसी भी भवन का वास्तु सबसे प्रधान होता है! यही तय करता है कि इस भवन में रहने वालों के क्या दशा-दिशा होगी! इसलिए वास्तु शास्त्र में वर्णित कुछ साधारण नियमों को मानना ही चाहिए!
वास्तु शास्त्र एक अत्यंत प्रमाणित प्राचीन विद्या है! लेकिन कई बार लाख सावधानी बरतने पर भी किसी भवन में कुछ वास्तु दोष रह जाते हैं! तो प्रस्तुत हैं वास्तु शास्त्र के मूल नियम और सावधानियां जिनका पालन कर सुख-समृद्धि से रहा जा सकता है!
मकान बनाते समय हवा एवं धूप का विशेष ध्यान रखना चाहिए! निर्माण इस तरह होना चाहिए कि हवा और धूप सर्दी और गर्मी में आवश्यकता के अनुरूप प्राप्त होती रहें!
जानें वैदिक वास्तुशास्त्र के साधारण और मूल नियम – jaanen vaidik vaastushaastr ke saadhaaran aur mool niyam – वैदिक वास्तु शास्त्र – vedic vastu shastra