भूखंड के चारों कोने ९० डिग्री पर होने चाईए, भूखंड वर्गाकार या आयताकार होना चाईए |
अगर भूखंड में तिरछापन हो तो वास्तु पुरुष भी तिरछा हो जाता है, जिससे हर दिशा और कोण का देवता भी वक्र हो जाता है, और वक्रता के कारण देवता की दृष्टि भी वक्र (क्रोधित) हो जाती है |
भूखंड के ऊपर बने घर के कमरे और अन्य स्थान भी वर्गाकार या आयताकार होने चाईए | अर्थात कमरे की दिवारे ९० डिग्री से होनी चाईए |
ईशान में वास्तु पुरुष का सिर होता है ओर नेश्रत्य में पैर, इसलिए ईशान कोण हल्का और नेश्रत्य कोण भारी रखना चाईए |
वास्तु रहने वालो पर प्रभाव रखता है फिर भले ही रहने वाले किरायेदार क्यों न हो |
लक्ष्मी को आमंत्रित करने हेतु घर में ताम्बे का कलश, हाथी, मोर का जोड़ा या मोर पंख, शहद, मंगल कलश, दर्पण, घी रखना चाईए | (मार्केंडयापुराण)
घर के भूखंड में छोटा सा कोना कच्चा (उस पर आँगन न बनाये) रखने से शुक्र ग्रह का अच्छा प्रभाव रहता है जो स्त्रियों के स्वस्थ्य एवं लक्ष्मी प्राप्ति हेतु ठीक रहता है
घर के ब्रहम कोण (बीच का भाग) में किसी भी प्रकार के निर्माण से बचना चाईए, ब्रहम कोण को खाली रखना श्रेयस्कर है |
वास्तु दोष के निवारण हेतु, वास्तु पूजा करवानी चाईए |
अन्य वास्तु नियम – Vaastu Tips – any vastu niyam – vastu tips – वैदिक वास्तु शास्त्र – vedic vastu shastra