घर को व्यवस्थित रखने की कला का नाम वास्तु शास्त्र है! इसके सिद्धांत, नियम और फार्मूले बहुत शक्तिशाली माने गए हैं!
जहां सही दिशा का चयन कर बनाया गया भवन हमें सुख-समृद्धि, मानसिक शांति, आर्थिक संपन्नता देता है, वहीं इस भवन में अगर वास्तु दोष हो तो हमें जीवन में कई परेशानियां झेलनी पड़ती है!
पूर्वी दिशा- अग्नि तत्व का प्रतीक मानी गई है! इसके अधिपति इंद्रदेव हैं! यह दिशा पुरुषों के शयन तथा अध्ययन आदि के लिए श्रेष्ठ होती है!
पश्चिमी दिशा- वायु तत्व की प्रतीक है! इसके अधिपति देव वरूण हैं! यह दिशा पुरुषों के लिए बहुत ही अशुभ तथा अनिष्टकारी होती है! इस दिशा में पुरुषों को वास नहीं करना चाहिए!
उत्तर दिशा- उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र यानी वायव्य कोण वायु तत्व प्रधान है! इसके अधिपति वायु देव हैं! यहां का निर्माण सर्वेंट हाउस के लिए तथा स्थायी तौर पर निवास करने वालों के लिए उपयुक्त स्थान हैं!
दक्षिण दिशा- आग्नेय; दक्षिणी-पूर्वी कोण में नालियों की व्यवस्था करने से भू-स्वामी को अनेक कष्टों को झेलना पड़ता है! गृह स्वामी की धन-सम्पत्ति का नाश होता है तथा उसे मृत्यु भय बना रहता है!
साथ ही नैऋत्य कोण में जल प्रवाह की नालियां हो तो यह भू-स्वामी पर अशुभ प्रभाव डालती हैं! इस कोण में जल प्रवाह नालियों का निर्माण करने से भू-स्वामी पर अनेक विपत्तियां आती हैं तथा मन हमेशा अशांत रहता है!
जानिए वास्तु एवं दिशा के अनमोल उपाय – janie vastu evan disha ke anmol upaay – वैदिक वास्तु शास्त्र – vedic vastu shastra