वैदिक वास्तु शास्त्र

vaidik vastu purush ke dosh

वैदिक वास्तु पुरुष के दोष – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaidik vastu purush ke dosh – vedic vastu shastra

यह एक कठिन विद्या है, जिसमें भौतिक निर्माण कृत्य में कब कौन देवता क्रोधित हो जाए व क्या परिणाम देंगे, इनका ज्ञान आवश्यक है! कुछ सामानय गृह दोष व उनके परिणाम बताए जा रहे हैं, जो जनोपयोगी हैं! सामान्य जन इनका बिना किसी विशेषज्ञ की मदद से भी उपयोग कर सकते हैं! देवतागण यदि रुष्ट […]

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vaidik vastu shastra

वैदिक वास्तु शास्त्र – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaidik vastu shastra – vedic vastu shastra

वैदिक वास्तु शास्त्र में मुख्य रूप से आठ दिशाओं , पंच तत्वो,के बारे मे वर्णन किया गया है,इन्ही का सन्तुलन करके हम अपने स्थान का पूर्ण सुख प्राप्त कर सकते है | आठ दिशाएं निम्न है- 1. पूर्व (East) 2. पश्चिम(West) 3. उत्तर(North) 4. दक्षिण(South) 5. ईशान(North East) 6. अग्नि(South East) 7. वायव्य(North West) 8.

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vaidik vastu shastra aur aapka kichan

वैदिक वास्तु शास्त्र और आपका किचन – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaidik vastu shastra aur aapka kichan – vedic vastu shastra

महिलाओं का अधिकतम समय किचन में ही बीतता है! वास्तुशास्त्रियों के मुताबिक यदि वास्तु सही न हो तो उसका विपरीत प्रभाव महिला पर, घर पर भी पड़ता है! किचन बनवाते समय इन बातों पर गौर करें! किचन की ऊंचाई 10 से 11 फीट होनी चाहिए और गर्म हवा निकलने के लिए वेंटीलेटर होना चाहिए! यदि

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vaidik vastu shastra kee bhoomika

वैदिक वास्तु शास्त्र की भूमिका – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaidik vastu shastra kee bhoomika – vedic vastu shastra

वास्तु शास्त्र की भूमिका ओम प्रकाश दार्शनिक आज मानवीय सृष्टि में जो कुछ भी और जैसे भी हो रहा है, वह यदि अवांछित ढंग से न होकर विधि सापेक्ष रूप में हो तो निश्चित ही बहुत से अमंगल टल सकते हैं! वास्तुशास्त्र इस मांगल्य की स्थापना में हमारा सहायक अथवा मार्गदर्शक हो सकता है! भली-भांति

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vighnaharta hai vastu shastra

विघ्नहर्ता है वास्तुशास्त्र – वैदिक वास्तु शास्त्र – vighnaharta hai vastu shastra – vedic vastu shastra

जैसे आरोग्य शास्त्र के नियमों का विधिवत पालन करके मनुष्य सदैव स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकता है, उसी प्रकार वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार भवन निर्माण करके प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन को सुखी बना सकता है! चिकित्सा शास्त्र में जैसे डाक्टर असाध्य रोग पीडि़त रोगी को उचित औषधि में एवं आपरेशन द्वारा मरने से बचा

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vaidik kal ke devta

वैदिक काल के देवता – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaidik kal ke devta – vedic vastu shastra

एकशीतिपद वास्तु में जो कि सर्वाधिक प्रचलन में है, 45 देवता विराजमान रहते हैं! मध्य में 13 व बाहर 32 देवता निवास करते हैं, ईशान कोण से क्रमानुसार नीचे के भाग में शिरवी, पर्जन्य, जयन्त, इन्द्र, सूर्य, सत्य भ्रंश व अंतरिक्ष तथा अग्निकोण में अनिल विराजमान हैं! नीचे के भाग में पूषा, वितथ, वृहत, क्षत,

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vaidik kal darpan vaastu

वैदिक काल दर्पण वास्‍तु – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaidik kal darpan vaastu – vedic vastu shastra

वातावरण में व्‍याप्‍त सकारात्‍म्‍क ऊर्जाओं का उपयोग एवं नकारात्‍मक ऊर्जाओं का प्रतिरोध ही वास्‍तु है! दर्पण के द्वारा भी इन ऊर्जाओं को प्राप्‍त किया जा सकता है! इस पुस्‍तक में दर्पणों के सकारात्‍मक एवं नकारात्‍मक उपयोगों का सचित्र वर्णन किया गया है सकारात्‍मक उपयोग जीवन में लाभकारी एवं नकारात्‍मक उपयोग हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं!

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vaidik kaal vaastu shaastr

वैदिक काल वास्तु शास्त्र – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaidik kaal vaastu shaastr – vedic vastu shastra

प्राचीन काल में ब्रह्मा नेविश्व की सृष्टि से पूर्व वासतु की सृष्टि की तथा लोकपालों की कल्पना की! ब्रह्मा ने जो मानसी सृष्टि की उसे मूर्त रूप देने हेतु विश्वकर्मा ने अपने चारों मानस पुत्र जय, विजय, सिद्धार्थ व अपराजित को आदेशित करते हुए कहा कि ‘मैंने देवताओं के भवन इत्यादि (यथा इन्द्र की अमरावती)

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vaidik kal kya hai vastu purush?

वैदिक कालक्या है वास्तुपुरुष? – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaidik kal kya hai vastu purush? – vedic vastu shastra

वास्तु पुरुष की कल्पना भूखंड में एक ऐसे औंधे मुंह पड़े पुरुष के रूप में की जाती है, जिससे उनका मुंह ईशान कोण व पैर नैऋत्य कोण की ओर होते हैं! उनकी भुजाएं व कंधे वायव्य कोण व अग्निकोण की ओर मुड़ी हुई रहती है! देवताओं से युद्ध के समय एक राक्षस को देवताओं ने

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vastudosh bhi door karta hai bhagavaan shree ganesh

वास्तुदोष भी दूर करते हैं भगवान श्री गणेश – वैदिक वास्तु शास्त्र – vastudosh bhi door karta hai bhagavaan shree ganesh – vedic vastu shastra

बिना तोड़-फोड़ वास्तुदोष दूर करना है तो पूजें श्री गणेश को वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ! नि‍र्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!! कई वास्तुदोषों का निवारण भगवान गणपति जी की पूजा से होता है! वास्तु पुरुष की प्रार्थना पर ब्रह्माजी ने वास्तुशास्त्र के नियमों की रचना की थी! यह मानव कल्याण के लिए बनाया गया था इसलिए

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