पूजा घर की स्थति ईशान कोण में अच्छी मानी गई है, मंदिर पूर्वाभिमुखी होना चाईए |
पूजाघर पूर्वाभिमुखी या उत्तराभिमुखी बढ़िया माना गया है, भगवान का मुख भी पूर्व की ओर होना शुभ सूचक है |
देवता – भगवान का मुख पूर्वाभिमुखी होना चाईए | गणेशजी का मुख उत्तराभिमुखी रखा जा सकता है |
पूजाघर को नेश्रत्य कोण में, घर की पहली मंजिल पर, तहखाने में, मुख्य द्वार के सम्मुख, छत पर, कमरे में, बाथरूम- टॉयलेट के सामने, ऊपर या नीचे हरगिज नहीं रखना चाईए |
पूजा घर के ऊपर भार (सामान इत्यादि) नहीं रखना चाईए |
पूजा घर में खंडित मूर्ति या तस्वीर नहीं होनी चाईए | एक मंदिर में २ शिव लिंग, ३ दुर्गा प्रतिमा, २ गणपति, २ लक्ष्मी प्रतिमा नहीं रखनी चाईए |
अगर पूजा घर में मूर्ति रखना चाहते है तो कृपया उसे प्राण प्रतिष्ठित न करे, एवं मूर्ति दो इंच या अंगुठे से लम्बी नहीं रखनी चाईए |
पूजा घर में स्वयं के कुलदेवता या कुलदेवी का स्थान जरूर होना चाईए |
पूजा घर वास्तु – Prayer Room Vastu – pooja ghar vastu – prayer room vastu – वैदिक वास्तु शास्त्र – vedic vastu shastra