poorvee ya uttaree deevaar par banaen khidakee

पूर्वी या उत्तरी दीवार पर बनाएँ खिड़की – वैदिक वास्तु शास्त्र – poorvee ya uttaree deevaar par banaen khidakee – vedic vastu shastra

खिड़कियाँ- वास्तु के अनुसार मकान में खिड़कियों की संख्या बराबर होनी चाहिए! पश्चिमी, पूर्वी और उत्तरी दीवारों पर खिड़कियों का निर्माण शुभ माना गया है! यह भी ध्यान रखें कि मकान में खिड़कियाँ द्वार के सामने अधिकाधिक होनी चाहिए, ताकि चुम्बकीय चक्र पूर्ण होता रहे! खिड़कियाँ कभी भी सन्धि भाग में न लगवाएँ!
सदर द्वार- मकान में मुख्य द्वार किस दिशा में हो, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है! वास्तु शास्त्र के अनुसार आपके घर का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व में होना चाहिए! भूलकर भी दक्षिण या पश्चिम दिशा में द्वार न बनवाएँ! लेकिन अगर आपका भूखण्ड ही इस योग्य न हो कि घर का मुख्य द्वार जैसा आप चाहते हैं, निकल न पाए तो क्या करना चाहिए!

जी हाँ, यह सब भूखण्ड की स्थिति पर निर्भर करता है! यदि भूखण्ड पूर्वोन्मुख हो, तो सदर द्वार ईशान और पूर्व दिशा के मध्य,
दक्षिणोन्मुख होने पर सदर द्वार आग्नेय व दक्षिण दिशा के मध्य, पश्चिमोन्मुख हो, तो नैऋत्य और पश्चिम दिशा के मध्य तथा यदि भूखण्ड उत्तरोन्मुख हो, तो मुख्य द्वार वायव्य व उत्तर दिशा के मध्य रखना शुभ माना जाता है! मुख्य द्वार की स्थापना शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से करवानी चाहिए!

कृपया ध्यान दें- प्रवेश द्वार अन्दर की ओर खुले, पल्ले दो हों, तो अति उत्तम! दरवाजे पर स्वतः खुलने या बंद होने की मशीन न लगवाएँ! घर के सदर द्वार पर मंगल चिन्ह का प्रतीक लगवाएँ!
सहायक दरवाजे- मकान में मुख्य द्वार के अलावा अन्य सहायक दरवाजे होते हैं! उन्हें एक शीर्ष में रखने चाहिए! दरवाजों की संख्या बराबर होनी चाहिए! एक के ऊपर दूसरा दरवाजा कदापि न रखें! दरवाजे और खिड़कियाँ उत्तर व पूर्व दिशा में अधिक रखें! द्वार के सामने भूल कर भी सीढ़ी या खम्भा आदि बाधा उत्पन्न करने वाली वस्तुएँ कदापि न रखें!

पूर्वी या उत्तरी दीवार पर बनाएँ खिड़की – poorvee ya uttaree deevaar par banaen khidakee – वैदिक वास्तु शास्त्र – vedic vastu shastra

 

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