vaastu anusaar kahaan ho baatharoom

वास्तु अनुसार कहाँ हो बाथरूम – वैदिक वास्तु शास्त्र – vaastu anusaar kahaan ho baatharoom – vedic vastu shastra

बाथरूम यह मकान के नैऋत्य; पश्चिम-दक्षिण कोण में एवं दिशा के मध्य अथवा नैऋत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य में होना उत्तम है! वास्तु के अनुसार, पानी का बहाव उत्तर-पूर्व में रखें!
जिन घरों में बाथरूम में गीजर आदि की व्यवस्था है, उनके लिए यह और जरूरी है कि वे अपना बाथरूम आग्नेय कोण में ही रखें, क्योंकि गीजर का संबंध अग्नि से है! चूँकि बाथरूम व शौचालय का परस्पर संबंध है तथा दोनों पास-पास स्थित होते हैं! शौचालय के लिए वायव्य कोण तथा दक्षिण दिशा के मध्य या नैऋत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य स्थान को सर्वोपरि रखना चाहिए!
शौचालय में सीट इस प्रकार हो कि उस पर बैठते समय आपका मुख दक्षिण या उत्तर की ओर होना चाहिए! अगर शौचालय में एग्जास्ट फैन है, तो उसे उत्तरी या पूर्वी दीवार में रखने का निर्धारण कर लें! पानी का बहाव उत्तर-पूर्व रखें!
वैसे तो वास्तु शास्त्र-स्नान कमरा व शौचालय का अलग-अलग स्थान निर्धारित करता है,पर आजकल जगह की कमी के कारण दोनों को एक साथ रखने का रिवाज-सा चल पड़ा है!
लेकिन ध्यान रखें कि अगर बाथरूम व लैट्रिन, दोनों एक साथ रखने की जरूरत हो तो मकान के दक्षिण-पश्चिम भाग में अथवा वायव्य कोण में ही बनवाएँ या फिर आग्नेय कोण में शौचालय बनवाकर उसके साथ पूर्व की ओर बाथरूम समायोजित कर लें! स्नान गृह व शौचालय नैऋत्य व ईशान कोण में कदापि न रखें!

वास्तु अनुसार कहाँ हो बाथरूम – vaastu anusaar kahaan ho baatharoom – वैदिक वास्तु शास्त्र – vedic vastu shastra

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