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ब्रह्मचर्य जीवन जीने के उपाय – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Ways to live celibate life – brahmacharya vigyan

► परिचय
ब्रह्मचर्य जीवन जीने के उपाय- शरीर के अन्दर विद्यमान ‘वीर्य’ ही जीवन शक्ति का भण्डार है। शारीरिक एवं मानसिक दुराचर तथा प्राकृतिक एवं अप्राकृतिक मैथुन से इसका क्षरण होता है।

► कामुक चिंतन आने पर निम्र उपाय करें
जिस प्रकार गन्ने का रस बाहर निकल जाने के पश्चात ‘छूछ’ कोई काम का नहीं रह जाता उसी प्रकार व्यक्ति के शरीर से ‘वीर्य’ के न रहने पर होता है, इस भाव का चिंतन करें। * तत्काल निकट के देवालय में चले जायें एवं कुछ देर वहीं बैठे रहें।

* अच्छे साहित्य का अध्ययन करें। जैसे- ब्रह्मचर्य जीवन की अनिवार्य आवश्यकता, मानवी विद्युत के चमत्कार, मन की प्रचण्ड शक्ति, मन के हारे हार है मन के जीते जीत, हारिए न हिम्मत आदि।

* अच्छे व्यक्ति के पास चले जायें।

* आपके घर रिश्तेदार में रहने वाली महिला को याद करें कि मेरे घर में भी माता है, बहन है, बेटी है। अत: सामने खड़ी लडक़ी/महिला भी उसी रूप में है।

* लड़कियों से आँख में आँख मिलाकर बाते न करें क्योंकि शरीर में विद्यमान विद्युत शक्ति सबसे ज्यादा ‘आँखों’ के माध्यम से बाहर निकलती है एवं प्रभावित करती है।

► मैथुन क्रिया से होने वाले नुकसान निम्रानुसार है
* शरीर की जीवनी शक्ति घट जाती है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

* आँखो की रोशनी कम हो जाती है।

* शारीरिक एवं मानसिक बल कमजोर हो जाता है।

* जितना वीर्य बचाओगे उतना ही जीवन पाओगे।

* जिस तरह जीने के लिये ऑक्सीजन चाहिए वैसे ही ‘निरोग’ रहने के लिये ‘वीर्य’।

* ऑक्सीजन प्राणवायु है तो वीर्य जीवनी शक्ति है।

* अधिक मैथुन से स्मरण शक्ति कमजोर हो जाता है।

* चिंतन विकृत हो जाता है।

* सात्विक भोजन, सकारात्मक चिंतन एवं सेवा कार्यों में व्यस्त रहने से ‘मन’ नियंत्रित होता है। मन के नियंत्रण से ब्रह्मचर्य जीवन साधने में ‘सरल’ हो जाता है।

► ब्रह्मचर्य रक्षा के उपाय
1. प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाएँ।

2. तेज मिर्च मसालों से बचें। शुद्ध सात्विक शाकाहारी भोजन करें।

3. सभी नशीले पदार्थों से बचें।

4. गायत्री मन्त्र या अपने ईष्ट मन्त्र का जप व लेखन करें।

5. नित्य ध्यान (मेडिटेशन) का अभ्यास करें।

6. रात्रि में दूध पीते हों तो सोने के 1-2 पहले पीएँ व ठण्डा करके पीएँ ।

7. रात्रि शयन के पूर्व महापुरुषों के जीवन चरित्र का स्वाध्याय करें।

8. मन को खाली न छोड़ें किसी रचनात्मक कार्य व लक्ष्य से जोड़ रखें।

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