भारतीय वैदिक ज्योतिष का एकमात्र रहस्य यह है कि यह शास्त्र चिरन्तन और जीवन से सम्बद्ध सत्य का विश्लेषण करता है. संसार के समस्त शास्त्र जहाँ जगत के किसी एक अंश का निरूपण करते हैं,वहीं वैदिक ज्योतिष शास्त्र आन्तरिक एवं बाह्य दोनों जगतों से सम्बंधित समस्त ज्ञेयों का प्रतिपादन करता है. इसका सत्य दर्शन के समान जीव और ईश्वर से या विज्ञान के समान पदार्थ के घनत्व-तापमान आदि से ही सम्बंद्ध नहीं है,अपितु यह उससे कहीं आगे का भाग है. मानव के समक्ष जहाँ दर्शन एवं भौतिक विज्ञान नैराश्यवाद,वैराग्य अथवा भयोत्पादन की धूमिल रेखा अंकित करता है,वहाँ ज्योतिष उसे कर्तव्य क्षेत्र में ला उपस्थित करता है. साथ ही भविष्य को अवगत करा कर अपने कर्तव्यों द्वारा उसे अनुकूल बनाने के लिए ज्योतिष ही प्रेरणा देता है. यही प्रेरणा प्राणियों के लिए दु:ख-विघातक और पुरूषार्थ साधक होती है.






