शनिदेव क्रुर ग्रह नहीं हैं, वो न्यायकर्ता है। व्यक्ति पाप करता रहता है, और जब उस व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती आती है, तो उसके पापो का हिसाब स्वयं शनिदेव करते है। जब आप लोभ, हवस, गुस्सा, मोह से प्रभावित होकर अन्याय, अत्याचार, दूराचार, अनाचार, पापाचार, व्यभिचार को सहारा लेते है, जब सब से छिप कर कोई पाप करते है, तब भी शनिदेव सब देख रहे होते हैं और समय आने पर आपको दंड भी देते हैं। साढे-साति ही होती है, जो राजा का रंक बना देती है। लेकिन यदि साढे-साती दशा के दौरान भी आप सत्य को नहीं छोड़ेगे, पुनः, दया और न्याय का सहारा लेगें, सब बहुत ही अच्छे से व्यतीत हो जायेगा।