rahu mangal stotra - rahu ke prakop

राहु मंगल स्तोत्र – राहु के प्रकोप – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – rahu mangal stotra – rahu ke prakop – Aathavaan Din

राहु: सिंहल देश जश्च निऋति कृष्णांग शूर्पासनो।
य: पैठीनसि गोत्र सम्भव समिद दूर्वामुखो दक्षिण:॥

य: सर्पाद्यधि दैवते च निऋति प्रत्याधि देव: सदा।
षटत्रिंस्थ: शुभकृत च सिंहिक सुत: कुर्यात सदा मंगलम॥

उपरोक्त दोनो स्तोत्रों का नित्य १०८ पाठ करने से राहु प्रदत्त समस्त प्रकार की कालिमा भयंकर क्रोध अकारण मस्तिष्क की गर्मी अनिद्रा अनिर्णय शक्ति ग्रहण योग पति पत्नी विवाद तथा काल सर्प योग सदा के लिये समाप्त हो जाते हैं,स्तोत्र पाठ करने के फ़लस्वरूप अखंड शांति योग की परिपक्वता पूर्ण निर्णय शक्ति तथा राहु प्रदत्त समस्त प्रकार के कष्टों से निवृत्ति हो जाती है।

राहु मंगल स्तोत्र – राहु के प्रकोप – rahu mangal stotra – rahu ke prakop – आठवाँ दिन – Day 8 – 21 Din me kundli padhna sikhe – Aathavaan Din

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