गुरु के पीछे के ग्रह गुरु को बल देते है और आगे के ग्रहों को गुरु बल देता है, जैसी सहायता गुरु को पीछे से मिलती है वैसी ही सहायता गुरु आगे के ग्रहो को देना शुरु कर देता है, यही हाल गोचर से भी देखा जाता है, गुरु के पीछे अगर मंगल और गुरु के आगे बुध है तो गुरु मंगल से पराक्रम लेकर बुध को देना शुरु कर देगा, अगर मंगल धर्म मय है तो बुध को धर्म की परिभाषा देना शुरु कर देगा और और अगर मंगल बद है तो गाली की भाषा देना शुरु कर देगा, गुरु के पीछे शनि है तो जातक को घर में नही रहने देगा और गुरु के आगे शनि है तो गुरु घर बाहर निकलने में ही डरेगा। गुरु के आगे शनि जातक को जीवन जीने के लिये पहाड सा लगेगा और गुरु के पीछे शनि वाला जातक जीवन को समझ ही नही पायेगा कि जीवन कब शुरु हुआ और कब खत्म होने के लिये आगया। गुरु के आगे चन्द्रमा होता है तो जातक को माता के साथ पब्लिक भी साथ देती है, और गुरु के पीछे चन्द्रमा होता है तो जातक को माता और पब्लिक ही आगे बढने के लिये कहती है तथा वह अपने कामो के कारण माता से दूर और यात्रा तथा खर्चों से ही परेशान होता है। गुरु से पीछे का सूर्य जातक को पिता और राज्य से सहारा देने वाला माना जाता है, लेकिन गुरु से आगे का सूर्य पिता और सरकारी कामों के लिये तथा भविष्य के पुत्र के पीछे पीछे दौडाने वाला माना जाता है। गुरु से बारहवां बुध जमीन होने के बाद भी उल्टे दिमाग के कारण कुछ भी करने से दूर रहता है और गुरु से आगे बुध होने पर बातों से काम चलाने वाला और बातों से ही पेट भरने वाला होता है।
