जब कुंडली में राहू तीसरे घर में, केतु नौवें घर में और बाकी के सभी गृह इन दोनों के मध्य में स्थित हो तो वासुकी काल्सर्प् दोष का निर्माण होता है ! जिन जातकों की कुंडली में वासुकी कालसर्प दोष होता है उन्हें जीवन के सभी क्षेत्र में बुरी किस्मत की मार खानी पड़ती है, कड़ी मेहनत और इमानदारी के बाउजूद असफलता हाथ आती है ! जातक के छोटे भाई और बहनों पर बुरा असर पड़ता है ! जातक को लम्बी यात्राओं से कष्ट उठाना पड़ता है और धर्म कर्म के कामों में विशवास नहीं रहता ! वासुकी कालसर्प दोष के कारण जातक की कमाई भी बहुत कम हो सकती है इस कारण से जातक गरीबी और लाचारी का जीवन व्यतीत करता है !
वासुकी कालसर्प दोष में राहु केतु की स्थिति क्रमश: तृतीय एवं नवम में होती है। इसलिए इस दोष में इन दोनों घरों के शुभ फल विशेष रूप से पभावित होते हैं। व्यक्ति को भाग्य का सहयोग नहीं मिलने के कारण जीवन में बार-बार बाधाओं का सामना करना होता है। व्यापार अथवा नौकरी जिससे भी व्यक्ति की आजीविका चलती है उसमें परेशानियों से गुजरना पड़ता है। व्यक्ति यदि कोई काम साझेदारी में करता है तो उसमें नुकसान की संभावना प्रबल रहती है। इस दोष के अशुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति को अपने जीवन में हर क्षेत्र में संघर्ष के बाद ही सफलता मिलती है। मानसिक उलझनों के कारण व्यक्ति ऐसा कार्य कर बैठता है जिससे मुश्किलें कम होने की बजाय बढ़ जाती हैं।
आर्थिक कठिनाईयां भी समय-समय पर व्यक्ति तकलीफदेय बन जाती हैं। इस दोष की वजह से भाई-बहनों एवं सगे-सम्बन्धियों के कारण कष्ट उठाना पड़ता है। इनसे सहयोग में कमी आती है। मित्रों के प्रति अधिक विश्वास कभी-कभी नुकसादेय हो जाता है। मित्र इनके विश्वास का फायदा उठाकर धोखा देने की कोशिश करते हैं। राहु केतु की दशा के समय यात्रा के दौरान नुकसान भी संभावित रहता है।
वासुकि कालसर्प योग से मुक्ति के उपाय
इस दोष से मुक्ति के लिए नागपंचमी के दिन व्रत रखकर नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। भगवान श्री कृष्ण की पूजा से भी इस दोष के अशुभ प्रभाव में कमी आती है। वासुकि कालसर्प दोष निवारण हेतु घर में शांति पूजा भी करवा सकते हैं। राहु मंत्र का जप करते हुए पक्षियों को ज्वार-बाजरा डालने से भी दोष के प्रभाव में कमी आती है।