जब कुंडली के पहले घर में राहू , सातवे घर केतु और बाकि के सात गृह राहू और केतु के मध्य स्थित हो तो वह अनंत कालसर्प दोष कहलाता है ! अनंत कालसर्प दोष जातक की शादीशुदा जिन्दगी पर बहुत बुरा असर डालता है ! बितते वक्त के साथ जातक और जातक के जीवन साथी के बीच तनाव बढता जाता है ! जातक के नाजायज़ सम्बन्ध बाहर हो सकते है ! इसी कारण बात तलाक तक पहुच सकती है! जातक के अपने जीवन साथी के साथ संबंधों में मधुरता नहीं होती ! अनंत कालसर्प दोष के कारण जातक जीवन भर संघर्ष करता है और पूर्णतया फल प्राप्त नहीं करता ! संधि व्यापार में सफलता नहीं मिलती और भागिदार दोखा कर जाते है !
अगर कुण्डली में अनंत कालसर्प दोष है तो व्यक्ति निडर और स्वतंत्र विचारों वाला होता है। वह हमेशा जोखिम लेने के लिए तैयार रहता है। अपने दु:साहसी व्यवहार के कारण उसे दुर्घटनाओं का सामना करना होता है। सिर पर चोट लगने की संभावना रहती है। इस दोष के प्रभाव के कारण व्यक्ति को स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग रहने की जरूरत होती है। सेहत के प्रति लापरवाही से जल्दी ही यह रोगग्रस्त हो सकते हैं। सरकारी मामलों में लापरवाही इनके लिए नुकसानदेय हो सकता है। किसी विवाद में इन्हें अदालत के भी चक्कर लगाने पड़ते हैं।
इन्हें अपने मान-सम्मान को ध्यान में रखते हुए कार्य करना चाहिए क्योंकि मान-सम्मान पर आंच आने की संभावना रहती है। मेहनत के अनुसार सफलता नहीं मिलने के कारण मानसिक तनाव और निराशात्मक विचारों का इन पर दबाव बना रहता है। दाम्पत्य जीवन में भी यह योग बाधक बनता है। व्यक्ति अगर सूझ-बूझ एवं शांति से काम नहीं ले तो गृहस्थी में जीवनसाथी से अनबन बनी रहती है।
इस दोष की शांति के लिए व्यक्ति को नियमित शिव पंचाक्षरी मंत्र “ओम नम: शिवाय” अथवा महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। मनसा देवी को नागों की देवी माना जाता है। इनकी पूजा करने से भी इस दोष के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।