गुण मिलान न होने एवं उनका परिहार होने पर विवाह संबंध किया जा सकता है। वर एवं कन्या की राशीश मैत्री हो यानी वर कन्या के राशि के स्वामी राशीश परस्पर मित्र-मित्र या मित्र-सम हो। वर कन्या के राशि का स्वामी एक ही हो। दोनों का नवमांशेश परस्पर मित्र-मित्र या मित्र-सम हो या एक ही हो। नाड़ी दोष में दोनों की राशि एक और नक्षत्र भिन्न-भिन्न हो। दोनों का नक्षत्र एक और राशियां भिन्न-भिन्न हो।