Gyarahavaan Din

vivah aur nadi milan

विवाह और नाड़ी मिलान – ग्यारहवाँ दिन – Day 11 – 21 Din me kundli padhna sikhe – vivah aur nadi milan – Gyarahavaan Din

विवाह में वर-वधू के गुण-मिलान में नाड़ी का महत्व इसी से ज्ञात होता है कि 36 गुणांक में 8 गुणांक नाड़ी के होते हैं। दो अपरिचितों की मनःस्थिति और शारीरिक सामंजस्य की जानकारी नाड़ियों के मिलान से की जाती है। भावी संतान सुख की जानकारी भी नाड़ी से ही मिलती है। वर-कन्या के जन्म नक्षत्र […]

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kundali milan ke any naam

कुंडली मिलान के अन्य नियम – ग्यारहवाँ दिन – Day 11 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundali milan ke any naam – Gyarahavaan Din

वर के सप्तम स्थान का स्वामी जिस राशि में हो, वही राशि कन्या की हो तो दांपत्य-जीवन सुखमय होता है। यदि कन्या की राशि वर के सप्तमेश का उच्च स्थान हो तो दांपत्य-जीवन में प्रेम बढ़ता हैै। संतान और सुख होता है। वर के सप्तमेश का नीच स्थान यदि कन्या की राशि हो तो भी

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inhen rakhen jaroor yaad

इन्हें रखें जरूर याद – ग्यारहवाँ दिन – Day 11 – 21 Din me kundli padhna sikhe – inhen rakhen jaroor yaad – Gyarahavaan Din

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में तीन अनुशासन हैं, जिनका विवाह संबंध स्थापित करने से पूर्व पालन करना आवश्यक है- अष्टकूट विचार, मंगल दोष विचार और शुद्ध विवाह काल निर्णय। इसमें अष्टकूट एवं उसके परिहार निम्न हैं – कुल कूट आठ होते हैं, वर्ण, वश्य, तारा, योनि, राशिश मैत्री, गण, भकुट और नाड़ी। इन कूटों के गुण

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ghatak kaal sarp dosh

घटक कालसर्प दोष – ग्यारहवाँ दिन – Day 11 – 21 Din me kundli padhna sikhe – ghatak kaal sarp dosh – Gyarahavaan Din

कुंडली में जब राहू दसवें घर में और केतु चौथे घर में और बाकि सभी गृह इन दोनों के मध्य फसे हो तो घटक कालसर्प दोष का निर्माण होता है ! घटक कालसर्प जातक के जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है, जातक हमेशा व्यवसाय और नौकरी की परेशानियों से जूझता रहता है, यदि वह

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sukhad bhavishya ka jamana

सुखद भविष्य की कामना – ग्यारहवाँ दिन – Day 11 – 21 Din me kundli padhna sikhe – sukhad bhavishya ka jamana – Gyarahavaan Din

ज्योतिष शास्त्र ग्रह, योग, नक्षत्र, राशि आदि के आधार पर यह निश्चय करता है कि अमुक राशि, नक्षत्र, योग वाले व्यक्ति का अमुक राशि, नक्षत्र, योग वाली कन्या से वैवाहिक संबंध कैसा रहेगा? दोनों पक्षकारों का पारस्परिक स्वभाव, प्रेम, आचार-व्यवहार कैसा रहेगा? क्योकि समान आचार-व्यवहार वाले वर-कन्या होने पर ही दाम्पत्य जीवन सुखमय हो सकता

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gun milan aur parihaar

गुण मिलान और परिहार – ग्यारहवाँ दिन – Day 11 – 21 Din me kundli padhna sikhe – gun milan aur parihaar – Gyarahavaan Din

गुण मिलान न होने एवं उनका परिहार होने पर विवाह संबंध किया जा सकता है। वर एवं कन्या की राशीश मैत्री हो यानी वर कन्या के राशि के स्वामी राशीश परस्पर मित्र-मित्र या मित्र-सम हो। वर कन्या के राशि का स्वामी एक ही हो। दोनों का नवमांशेश परस्पर मित्र-मित्र या मित्र-सम हो या एक ही

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tatva ki mitrata ya shatruta

तत्वों की मित्रता व शत्रुता – ग्यारहवाँ दिन – Day 11 – 21 Din me kundli padhna sikhe – tatva ki mitrata ya shatruta – Gyarahavaan Din

पृथ्वी तत्व की मित्रता जल तत्व के साथ, अग्नि तत्व की मित्रता वायु तत्व के साथ, पृथ्वी तत्व की मित्रता वायु तत्व के साथ होती है।पृथ्वी तत्व की अग्नि तत्व के साथ, जल तत्व की अग्नि तत्व के साथ और जल तत्व की वायु तत्व के साथ शत्रुता होती है। तत्व के इस विचार को

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basant panchami ka mahatva

बसंत पंचमी का महत्व – ग्यारहवाँ दिन – Day 11 – 21 Din me kundli padhna sikhe – basant panchami ka mahatva – Gyarahavaan Din

बसंत पंचमी का दिन सभी कामों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। खासकर कोई भी नया काम शुरू करने के लिए बसंत पंचमी का दिन सबसे उत्तम है। – माघ शुक्ल की पंचमी पर विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की विशेष पूजा होती है। – यह साल की कुछ विशेष शुभ तिथियों

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basant panchami par graho ko majboot karne ke upay

बसंत पंचमी पर ग्रहों को मजबूत करने के उपाय – ग्यारहवाँ दिन – Day 11 – 21 Din me kundli padhna sikhe – basant panchami par graho ko majboot karne ke upay – Gyarahavaan Din

आपकी कुंडली में ग्रहों की कमजोर स्थिति जीवन में समस्याएं बढ़ाती है। ऐसे में बसंत पंचमी के दिन आप कुंडली के उन ग्रहों को मजबूत करने के अचूक उपाय कर सकते हैं। – कुंडली में बुध कमजोर हो तो बुद्धि कमजोर हो जाती है। – ऐसी दशा में बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की उपासना

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nadi dosh ka parihar

नाड़ी दोष का परिहार – ग्यारहवाँ दिन – Day 11 – 21 Din me kundli padhna sikhe – nadi dosh ka parihar – Gyarahavaan Din

नाड़ी दोष का कई परिस्थितियों में परिहार हो जाता है। आइए विस्तार से जानें – वर तथा वधु की एक ही राशि हो लेकिन नक्षत्र भिन्न तब इस दोष का परिहार होता है। – दोनों का जन्म नक्षत्र एक हो लेकिन चंद्र राशि भिन्न हो तब परिहार होता है। – दोनों का जन्म नक्षत्र एक

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