kundli ki jankari

kya aap hai bhagyashali

क्या आप है भाग्यशाली, जानिए कुंडली से – इक्कीसवाँ दिन – Day 21 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kya aap hai bhagyashali, jaane kundali se – Ikkeesavaan Din

जन्मकुंडली में बीच के स्थान यानी लग्न से लेकर नौवां स्थान भाग्य का माना जाता है। यह स्थान तय करता है कि व्यक्ति का भाग्य कैसा होगा, कब चमकेगा और कब उसे प्रगति के मार्ग पर ले जाएगा। – नवम भाव का स्वामी अष्टम भाव में हो तो भाग्य भाव से द्वादश होने के कारण […]

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chhatr yog - aapakee kundalee mein shubh yog

छत्र योग – आपकी कुंडली में शुभ योग – सत्रहवाँ दिन – Day 17 – 21 Din me kundli padhna sikhe – chhatr yog – aapakee kundalee mein shubh yog – Satrahavaan Din

जिस व्यक्ति की जन्म पत्रिका में होता है वह व्यक्ति जीवन मे निरन्तर प्रगति करता हुए उच्च पद प्राप्त करता है। इस भगवान की छत्र छाया वाला योग कहा जा सकता है यह योग तब बनता है तब कि कुण्डली में चतुर्थ भाव से दशम भाव तक सभी ग्रह मौजूद हों या फिर दशम भाव

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sarasvatee yog - aapakee kundalee mein shubh yog

सरस्वती योग – आपकी कुंडली में शुभ योग – सत्रहवाँ दिन – Day 17 – 21 Din me kundli padhna sikhe – sarasvatee yog – aapakee kundalee mein shubh yog – Satrahavaan Din

यह तब बनता है जब शुक्र बृहस्पति और बुध ग्रह एक दूसरे के साथ हों अथवा केन्द्र में बैठकर एक दूसरे से सम्बन्ध बना रहे हों। युति अथवा दृष्टि किसी प्रकार से सम्बन्ध बनने पर यह योग बनता है। यह योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है उस पर विद्या की देवी मां सरस्वती

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kundali ka dasavaan bhaav - kundali dekhane ke niyam

कुंडली का दसवां भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundali ka dasavaan bhaav – kundali dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के दसवें भाव को वैदिक ज्योतिष में कर्म भाव कहा जाता है, तथा कुंडली का यह भाव मुख्य रूप से जातक के व्यवसाय के साथ जुड़े उतार-चढ़ाव तथा सफलता-असफलता को दर्शाता है। कुंडली में दसवें भाव के बलवान होने से तथा इस भाव पर एक या एक से अधिक शुभग्रहों का प्रभाव होने से

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kundalee ka gyaaravaan bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का ग्यारहवें भाव – कुंडली देखने के नियमकुंडली का ग्यारवाँ भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka gyaaravaan bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के ग्यारहवें भाव को वैदिक ज्योतिष में लाभ भाव कहा जाता है तथा कुंडली का यह भाव मुख्य तौर पर जातक के जीवन में होने वाले वित्तिय तथा अन्य लाभों के बारे में बताता है। ग्यारहवें भाव के द्वारा बताए जाने वाले लाभ जातक द्वारा उसकी अपनी मेहनत से कमाए पैसे के बारे में

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kundalee ka aathavaan bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का आठवां भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka aathavaan bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के आठवें भाव को वैदिक ज्योतिष में रंध्र भाव कहा जाता है तथा अपने नाम के अनुसार ही कुंडली का यह भाव मुख्य तौर पर जातक की आयु के बारे में बताता है। किसी कुंडली में आठवें भाव तथा लग्न भाव अर्थात पहले घर के बलवान होने पर या इन दोनों घरों केएक या

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kundalee ka chhatha bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का छठा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka chhatha bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के छठे भाव को वैदिक ज्योतिष में अरि अथवा शत्रु भाव कहा जाता है तथा कुंडली के इस भाव के अध्ययन से यह पता चल सकता है कि जातक अपने जीवन काल में किस प्रकार के शत्रुओं तथा प्रतिद्वंदियों का सामना करेगा तथा जातक के शत्रु अथवा प्रतिद्वंदी किस हद तक उसे परेशान कर

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kundalee ka saatavaan bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का सातवाँ भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka saatavaan bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के सातवें भाव को वैदिक ज्योतिष में युवती भाव कहा जाता है तथा कुंडली के इस भाव से मुख्य तौर पर जातक के विवाह और वैवाहिक जीवन के बारे में पता चलता है। इस प्रकार जातक के विवाह तथा वैवाहिक जीवन से जुड़े अधिकतर प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए कुंडली के इस भाव

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kundalee ka chautha bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का चौथा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka chautha bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के चौथे भाव को वैदिक ज्योतिष में मातृ भाव तथा सुख स्थान भी कहा जाता है, यह भाव जातक के जीवन में माता की ओर से मिलने वाले योगदान तथा जातक के द्वारा किए जाने वाले सुखों के भोग को दर्शाता है। चौथा भाव कुंडली का एक महत्त्वपूर्ण भाव है तथा किसी भी क्रूर

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kundalee ka paanchava bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का पांचवां भाव – कुंडली देखने के नियमकुंडली का पाँचवा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka paanchava bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के पाँचवे भाव को वैदिक ज्योतिष में संतान भाव कहा जाता है तथा अपने नाम के अनुसार ही कुंडली का यह भाव संतान प्राप्ति के बारे में बताता है। हालांकि कुंडली के कुछ और तथ्य भी इस विषय में अपना महत्त्व रखते है। यहां पर यह बात घ्यान देने योग्य है कि कुंडली का

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