किसी जातक की कुंडली में राहु अशुभ व शत्रु ग्रह से युक्त हो तथा पहले, पांचवें, आठवें, नौवें व बारहवें भाव में स्थित हो तो शत्रुता, दुर्घटना, मानसिक पीड़ा, क्षय रोग, कारोबार में हानि, झूठे आरोप आदि की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
क्या उपाय करें : मूली दान में दें। जौ को दूध में धोकर दरिया में प्रवाहित करें। कच्चे कोयले को दरिया में प्रवाहित करें। हाथी के पांव के नीचे की मिट्टी कुएं में डालें।