चन्द्रमा माँ का सूचक है और मनं का करक है ।शास्त्र कहता है की “चंद्रमा मनसो जात:” । इसकी कर्क राशि है । कुंडली में चंद्र अशुभ होने पर। माता को किसी भी प्रकार का कष्ट या स्वास्थ्य को खतरा होता है, दूध देने वाले पशु की मृत्यु हो जाती है। स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। घर में पानी की कमी आ जाती है या नलकूप, कुएँ आदि सूख जाते हैं मानसिक तनाव,मन में घबराहट,तरह तरह की शंका मनं में आती है औरमनं में अनिश्चित भय व शंका रहती है और सर्दी बनी रहती है। व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार बार-बार आते रहते हैं।
उपाय : सोमवार का व्रत करना, माता की सेवा करना, शिव की आराधना करना, मोती धारण करना, दो मोती या दो चाँदी का टुकड़ा लेकर एक टुकड़ा पानी में बहा दें तथा दूसरे को अपने पास रखें। कुंडली के छठवें भाव में चंद्र हो तो दूध या पानी का दान करना मना है। यदि चंद्र बारहवाँ हो तो धर्मात्मा या साधु को भोजन न कराएँ और ना ही दूध पिलाएँ। सोमवार को सफ़ेद वास्तु जैसे दही,चीनी, चावल,सफ़ेद वस्त्र, १ जोड़ा जनेऊ,दक्षिणा के साथ दान करना और ॐ सोम सोमाय नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है ।