मंगल सेना पति होता है,भाई का भी द्योतक और रक्त का भी करक माना गया है । इसकी मेष और वृश्चिक राशि है ।कुंडली में मंगल के अशुभ होने पर भाई, पटीदारो से विवाद, रक्त सम्बन्धी समस्या, नेत्र रोग, उच्च रक्तचाप, क्रोधित होना, उत्तेजित होना, वात रोग और गठिया हो जाता है। रक्त की कमी या खराबी वाला रोग हो जाता। व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का हो जाता है। मान्यता यह भी है कि बच्चे जन्म होकर मर जाते हैं।
उपाय : ताँबा, गेहूँ एवं गुड,लाल कपडा,माचिस का दान करें। तंदूर की मीठी रोटी दान करें। बहते पानी में रेवड़ी व बताशा बहाएँ, मसूर की दाल दान में दें। हनुमद आराधना करना,हनुमान जी को चोला अर्पित करना,हनुमान मंदिर में ध्वजा दान करना, बंदरो को चने खिलाना,हनुमान चालीसा,बजरंग बाण,हनुमानाष्टक,सुंदरकांड का पाठ और ॐ अं अंगारकाय नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है ।