कुंडली के बारहवें भाव को वैदिक ज्योतिष में व्यय भाव कहा जाता है तथा कुंडली का यह भाव मुख्यरुप से जातक के द्वारा अपने जीवन काल में खर्च किए जाने वाले धन के बारे में बताता है तथा साथ ही साथ कुंडली का यह घर यह संकेत भी देता है कि जातक के द्वारा खर्च किए जाने वाला धन आम तौर पर किस प्रकार के कार्यों में लगेगा। कुंडली के बारहवें भाव के बलवान होने की स्थिति में आम तौर पर जातक की कमाई और व्यय में उचित तालमेल होता है तथा जातक अपनी कमाई के अनुसार ही धन को खर्च करने वाला होता है, जिसके कारण उसे अपने जीवन में धन को नियंत्रित करने में अधिक कठिनाई नहीं होती जबकि कुंडली के बारहवें भाव के बलहीन होने की स्थिति में जातक का खर्च आम तौर पर उसकी कमाई से अधिक होता है तथा इस कारण उसे अपने जीवन में बहुत बार धन की तंगी का सामना करना पड़ता है।
कुंडली का बारहवां भाव जातक की विदेश यात्राओं के बारे में भी बताता है तथा किसी दण्ड के फलस्वरूप मिलने वाला देश निकाला भी कुंडली के इसी भाव से देखा जाता है। किसी व्यक्ति का अपने परिवार के सदस्यों से दूर रहना भी कुंडली के इस भाव से पता चल जाता है। जातक के जीवन के किसी विशेष समय में उसके लंबी अवधि के लिए अस्पताल जाने अथवा कारावास में बंद होने जैसे विषयों के बारे में जानने के लिए भी कुंडली के इस भाव को देखा जाता है।
बारहवां भाव व्यक्ति के जीवन में मिलने वाले शय्या के सुख के बारे में भी बताता है तथा यह भाव जातक की निद्रा के बारे में भी बताता है। कुंडली के इस भाव पर किन्ही विशेष बुरे ग्रहों का प्रभाव जातक को निद्रा से संबंधित रोग या परेशानियों से पीड़ित कर सकता है।