kundalee ka doosara bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का दूसरा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka doosara bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के दूसरे भाव को वैदिक ज्योतिष में धन स्थान कहा जाता है तथा किसी भी व्यक्ति की कुंडली में इस भाव का अपना एक विशेष महत्त्व होता है। इसलिए किसी कुंडली को देखते समय इस भाव का अध्ययन बड़े ध्यान से करना चाहिए। कुंडली का दूसरा भाव कुंडली धारक के द्वारा अपने जीवन काल में संचित किए जाने वाले धन के बारे में बताता है तथा इसके अतिरिक्त यह भाव जातक के द्वारा संचित किए जाने वाले सोना, चांदी, हीरे-जवाहरात तथा इसी प्रकार के अन्य बहुमूल्य पदार्थों के बारे में भी बताता है। किन्तु कुंडली का दूसरा भाव केवल धन तथा अन्य बहुमूल्य पदार्थों तक ही सीमित नहीं है तथा इस भाव से जातक के जीवन के और भी बहुत से क्षेत्रों के बारे में जानकारी मिलती है। दूसरा भाव जातक की वाणी तथा उसके बातचीत करने के कौशल के बारे में भी बताता है। शरीर के अंगों में यह भाव चेहरे तथा चेहरे पर उपस्थित अंगों को दर्शाता है तथा कुंडली के इस भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव होने की स्थिति में जातक को शरीर के इन अंगों से संबंधित चोटों अथवा बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। कुंडली का दूसरा भाव जातक की सुनने, बोलने तथा देखने की क्षमता को भी दर्शाता है तथा इन सभी के ठीक प्रकार से काम करने के लिए कुंडली के इस घर का मज़बूत होना आवश्यक है।

कुंडली का दूसरा भाव – कुंडली देखने के नियम – kundalee ka doosara bhaav – kundalee dekhane ke niyam – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – Terahavaan Din

Tags: , , , , , , , , , , , , ,

Leave a Comment

Scroll to Top