कुंडली के बारहवें घर में राहू, छठे घर में केतु और बाकी सभी गृह इन दोनों के मध्य फसे होने से शेषनाग कालसर्प दोष का निर्माण होता है ! शेषनाग कालसर्प दोष जातक के जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न करता है ! जातक हमेशा गुप्त दुश्मनों डर में रहता है, उसके गुप्त दुश्मन अधिक होते है जो उसे समय समय पर नुक्सान पहुचाते रहते है! जातक हमेशा कोई न कोई स्वास्थ्य समस्या से घिरा रहता है इसलिए उसके इलाज पर अधिक खर्चा होता है! इस दोष के कारण जातक जन्म स्थान से दूर रहना पड़ता है, गलत कार्यों में भाग लेने से जेल यात्रा भी संभव है !
जिस व्यक्ति की कुण्डली में शेषनाग कालसर्प दोष होता है उनका मन अशांत रहता है। व्यक्ति अपने अंदर एक बेचैनी एवं उद्धिग्नता महसूस करता है। जो लोग सतर्क नहीं रहते हैं वह गुप्त शत्रुओं द्वारा किसी षड्यंत्र में फंसाये जा सकते हैं। जिससे कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है। मुश्किल समय में धैर्य एवं संयम से काम नहीं लेना वाला व्यक्ति लड़ाई-झगड़ों में फंस सकता है। इन स्थितियों में उसे अदालत के भी चक्कर लगाने पड़ते हैं।
शेषनाग कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति को बदनामी भी सहनी होती है। व्यक्ति मेहनत करके कमाता है और खर्च पहले से ही अपना मुंह खेलकर बैठा रहता है जिससे आर्थिक चुनौतियां का सामना करना पड़ता है। परिवारिक सुख-शांति को लेकर भी व्यक्ति की चिंताएं बनी रहती हैं। इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को नेत्र रोग होने की संभावना अधिक रहती है। ज्योतिषशास्त्रियों का मानना है कि शेषनाग कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति को अपने जीवनकाल में भले ही कष्ट और अपमान उठाना पड़े लेकिन, मृत्यु पश्चात उसकी ख्याति फैलती।
शेषनाग कालसर्प दोष की शांति के लिए भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए तथा उनसे इस दोष की शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। सोमवार के दिन रूद्राभिषेक करने से भी इस दोष का अशुभ प्रभाव दूर होता है। सावन महीने में सोमवार के दिन यह कार्य करने पर सर्वाधिक शुभ फल प्राप्त होता है। कालसर्प दोष के कष्ट को कम करने हेतु गोमद धारण कर सकते हैं। चांदी की नाग की आकृति वाली अंगूठी धारण करने से भी अनुकूल परिणाम प्राप्त होता है।