जमीन की कीमत या कहिए उसकी कमी के मद्देनजर उसका भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी का परिणाम है बेसममेंट्स की बढती संख्या। आजकल बेसमेंट्स का निर्माण धड़ल्ले से किया जा रहा है। बसेमेंट स्थान की कमी और जरूरत की भरपाई कर सकती है, इसमें दो राय नहीं, लेकिन इसका निर्माण करने से पूर्व वास्तु निमयों का ख्याल रखा जाए तो बेहतर है। चूंकि गलत तरीके से अथवा वास्तु नियमों की उपेक्षा कर बनाया गया बेसमेंट आपकी स्वास्थ्य संबंधी व आर्थिक परेशानियों का सबब बन सकता है।
आइए जानते हैं बेसमेंट से संबंधित ये उपयोगी वास्तु टिप्स:
बेसमेंट का निर्माण मकान के पूर्वी, उत्तरी अथवा उत्तर-पूर्वी हिस्से में किया जाना चाहिए। उत्तर-पूर्व में बनी बेसमेंट आर्थिक दृष्टि से लाभकारी साबित होती है।
बेसमेंट कभी भी दक्षिण या पश्चिमी भाग में न बनाएं। अगर इन दिशाओं में बेसमेंट बनायी गयी हो तो उसे गोदाम अथवा स्टोररूम के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
चूंकि बेसमेंट में सूर्य की किरणें प्रवेश नहीं कर पातीं, इसलिए इसे किसी भी शुभ कार्य हेतु उपयोगी नहीं माना जाता।
बसेमेंट को रिहाइश के उद्देश्य से इस्तेमाल न करें। ऐसा करने से गंभीर शारीरिक व आर्थिक क्षति भोगनी पड़ सकती है।
बेसमेंट का एक चौथोई भाग अगर जमीनी स्तर से उपर है और सुबह के सूरज की किरणें उसमें प्रवेश कर पाती हैं, तो उसका 75 फीसदी भाग व्यावसायिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
इमारत के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में बसेमेंट बनी हो तो ऐसी इमारत को बेचना मश्किल हो जाता है। यही नहीं, ऐसी बेसमेंट में किया गया कोई भी व्यवासाय घाटे का का कारण बनता है। बसेमेंट के दक्षिण-पश्चिमी भाग को गोदाम के रूप में भी प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से मकान मालिक या घर के मुखिया की दुर्घटना में मृत्यु होने अथवा आत्महत्या करने की आशंका रहती है।
दक्ष्ज्ञिण-पूर्व में बनी बेसमेंट को बार, रेस्तरां आदि व्यवसायों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
बसेमेंट की छत कम से कम 9 फुट उंची रखें।
बेसमेंट में सफेद रंग करवाना चाहिए। दीवारों पर नीले रंग के इस्तेमाल से परहेज रखें।
बेसमेंट के लिए वास्तु टिप्स – basement ke liye vaastu tipsa – वास्तु और कक्ष दशा – vastu aur kaksha dasham