kundalee ka chhatha bhaav - kundalee dekhane ke niyam

कुंडली का छठा भाव – कुंडली देखने के नियम – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – kundalee ka chhatha bhaav – kundalee dekhane ke niyam – Terahavaan Din

कुंडली के छठे भाव को वैदिक ज्योतिष में अरि अथवा शत्रु भाव कहा जाता है तथा कुंडली के इस भाव के अध्ययन से यह पता चल सकता है कि जातक अपने जीवन काल में किस प्रकार के शत्रुओं तथा प्रतिद्वंदियों का सामना करेगा तथा जातक के शत्रु अथवा प्रतिद्वंदी किस हद तक उसे परेशान कर पाएंगे। कुंडली के छठे भाव के बलवान होने से तथा किसी विशेष शुभ ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक अपने जीवन में अधिकतर समय अपने शत्रुओं तथा प्रतिद्वंदियों पर आसानी से विजय प्राप्त कर लेता है तथा उसके शत्रु अथवा प्रतिद्वंदी उसे कोई विशेष नुकसान पहुंचाने में आम तौर पर सक्षम नहीं होते।

कुंडली का छठा भाव जातक के जीवन काल में आने वाले झगड़ों, विवादों, मुकद्दमों तथा इनसे होने वाली लाभ-हानि के बारे में भी बताता है। इसके अतिरिक्त कुंडली के इस भाव से जातक के जीवन में आने वाली बीमारियों तथा इन बीमारियों पर होने वाले खर्च का भी पता चलता है। कुंडली का छठा भाव शरीर के अंगों में पेट के निचले हिस्से को, आँतों को तथा उनकी कार्यप्रणाली को, गुर्दों तथा आस-पास के कुछ और अंगों को दर्शाता है। कुंडली के इस भाव पर किन्ही विशेष क्रूर ग्रहों का प्रभाव कुंडली धारक को कब्ज, दस्त, कमज़ोर पाचन-शक्ति के कारणहोने वाली बीमारियों, पेट में गैस-जलन जैसी समस्याओं, गुर्दों की बीमारीयों तथा ऐसी ही कुछ अन्य बीमारियों से पीड़ित कर सकता है।

कुंडली का छठा भाव – कुंडली देखने के नियम – kundalee ka chhatha bhaav – kundalee dekhane ke niyam – तेरहवां दिन – Day 13 – 21 Din me kundli padhna sikhe – Terahavaan Din

Tags: , , , , , , , , , , , , , ,

Leave a Comment

Scroll to Top