secret of mulank bhagyank 8

मूलांक 8 – अंक ज्योतिष | Secret of Mulank Bhagyank 8 – ank jyotish

 

विशेषताएं ►
मूलांक आठ का स्वामी शनि है. आपका अद्भुत और अनोखा व्यक्तित्व है. जीवन में चाहे जो कुछ करें, चाहे जितना लोगों का भला करें लेकिन लोगों की सहानुभूति कम प्राप्त होती है. ये अपने संपर्क में आए व्यक्तियों का ढाल बनकर सुरक्षा करते हैं.

ये साहसिक, लगनशील, चिंतनशील, श्रेष्ठ विचारक और इन्ही गुणों से सम्मान और यश प्राप्त करते हैं.

आप लोग शायद ही किसी से सलाह लेते हैं. अपने निर्णय खुद लेते हैं और उनपर अडिग रहते हैं. इसी कारण से वे कभी-कभी चीज़ों को लम्बे और कठिन तरीके से सीखते हैं.

आप लोग जिम्मेदारी से अपने दाइत्व का निर्वाह करते हैं और कभी भी अपने प्रियजनों को व्यक्त नहीं करते

आप लोग दूसरों के व्यक्तित्व का सही आकलन करते हैं और सही समय पर सही लोगों के साथ मिलकर अपने योजनाओं को क्रियान्वित करते हैं. आपके इसी गुण के कारण आप एक अच्छे व्यवसाई और एक अच्छे कूटनीतिज्ञ साबित होते हैं.

कमियाँ ►
1. आप अपने प्रियजनों का पूरा ख़याल रखते हैं, परन्तु आप इसे कभी ज़ाहिर नहीं होने देते. इसी कारण से आप को जितना श्रेय मिलना चाहिए वह कहीं दब के रह जाता है. आप अपनी बातों ज़रूर रखें और बताएं की आप उनके लिए क्या कुछ करते हैं.

2. आप दूसरों से राय नहीं लेने के कारण गलतियों से सीखते हैं जो एक लम्बा और कठिन मार्ग होता है. आप दूसरों से भी राय लें और उन्हें अमल में लाने की कोशिश करें.

विवेचना ►

• स्वामी ग्रह : शनि
• शुभ समय : 21 दिसम्बर से 19 फरवरी, 21 सितम्बर से 19 अक्टूबर
• शुभ तारीख : 8, 17, 26
• शुभ वर्ष : 8, 17, 26, 35, 44, 53, 62, 71
• अनुकूल तिथियां : 4, 13, 22, 31
• अनुकूल वर्ष : 8, 17, 26, 35, 44, 53 एवं 4, 13, 22, 31, 40, 45, 58, 67
• निर्बल समय : दिसम्बर, जनवरी, मार्च, अप्रैल
• शुभ दिन : शनिवार, रविवार, सोमवार
• सर्वोत्तम दिन : शनिवार
• शुभ रंग : बैगनी, काला, नीला, आसमानी, भूरा
• अशुभ रंग : चटख लाल रंग
• शुभ रत्न : नीलम
• धातु : पंचधातु
• रोग : वायुरोग, शरीर क्षीणता, कोष्ठबद्धता, गठिया, रक्तचाप, हृदय रोग, रक्ताल्पता, सिर पीड़ा, पेशाब में जलन, गंजापन इत्यादि
• देव : शनिदेव
• व्रत : शनिवार
• दान पदार्थ : भैंस, तिल, तेल, काला वस्त्र, लौह, पंचधातु, उड़द
• व्यवसाय : कसरत, खेलकूद का सामान, पुलिस व सैन्य विभाग, ठेकेदारी, वन विभाग, केमिकल्स, लघु उद्योग, वकालत, ज्योतिष, मुर्गीपालन, बागवानी, कोयला, बिजली का कार्य, नेतृत्व, नीति निर्धारण,धर्म कार्य, अध्यापन आदि
• शुभ दिशा : दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण-पूर्व
• अशुभ दिशा : उत्तर, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम

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