सिंधु घाटी की मूर्तियों में बैल की आकृतियाँ विशेष रूप से मिलती हैं। ‘वृषभ’ का अर्थ है बैल। आदिनाथ या वृषभनाथ जो जैन धर्म के प्रवर्तक थे उनका चिन्ह बैल है। सिंधु घाटी से प्राप्त बैल की आकृति सूचक है कि उस समय जैनधर्म का बीजारोपण हो चुका होगा। यहां से प्राप्त एक नंगी कबन्ध मूर्ति जो ग्रेनाइट पत्थर की बनी है उसे कुछ विद्वान जैन धर्म से सम्बन्धित मूर्ति मानते हैं क्योंकि जैनियों कि नग्न मूर्तियों की तरह यह है। दिगम्बर समुदाय वाले जैन भिक्षु नग्न ही रहते हैं। तीसरे यहां की एक मूर्ति को मार्शल ने कार्योत्सर्ग नामक योगासन में खड़ा बतलाया है। इससे लगता है कि योग की क्रिया जो जैनियों में व्यापक थी यहीं से प्रारम्भ हुई। इसलिए भी यह माना जा सकता है कि उक्त मूर्ति का सम्बन्ध जैन धर्म से रहा होगा।