स्नान-पूजा करके सायंकाल वांछित वृक्ष के पास जायें, उसको चावल, तिल, दूध, हल्दी, मिष्ठान आदि से पूजित करके, वहां घी का दीपक जलायें और सात बार परिक्रमा करके प्रणाम ककरे लौट आयें |
उखाड़ने, काटने के समय लकड़ी के बेंत लगे तेज औजार के साथ जायें | पेड़ की पुन: पूजा करें | इन दोनों पूजा में गणेशजी को पेड़ में स्थित मानकर उनके ही मंत्र का जाप करें, तो अच्छा होगा | तंत्र में अनेक मंत्र हैं, परन्तु आप उन्हें समझते नहीं, जिससे आपमें कोई भाव जगे और पेड़ संस्कृत नहीं जनता | पेड़ आपके भाव की तरंग पकड़ेगा, इसलिए उसमें श्रद्धा और विश्वास का भाव होना चाहिए |
उखाड़ने के समय या काटने के समय लाल सूती और सूखा कपड़ा साथ रखें | उससे पकड़कर एक ही झटके में डाली या छल निकल लें | जड़ प्राप्ति के लिए आमंत्रण सात दिन पूर्व करें और प्रतिदिन पूजा करके जड़ के स्थान पर थोड़ा-थोड़ा खोदें | सातवें दिन जड़ काटें |
कपड़े से पकड़े, धरती या शरीर से बिना स्पर्श कराये, बिना किसी से बात किये उसे घर लाकर सूखी हुई शुद्ध लकड़ी के पट्टे पर रखकर गाय के गोबर से लपेटें ( स्पर्श न हो), मूत्र से धोयें, दही लगायें, दूध से धोयें | फिर घृत लगाकर छाया में सुखायें |
रवि, शनि, गुरु या दिन का विवरण, नक्षत्र का विवरण वनस्पति प्रयोग के साथ ही होता है |