khilaye pilaye ka sach

खिलाए पिलाए का सच – काला जादू और तांत्रिक पूजा के उपाय क्या है? – khilaye pilaye ka sach – kala jadu aur tantrik pooja ke upay

बहुत से लोगों कि शिकायत होती हैं की किसी ने कुछ खिला-पिला दिया है। तब से वह (या उसकी पत्नी, माँ, बहन, भाई-भाभी आदि) असामान्य हो गये हैं। सारा उपाय कर लिया, डॉक्टरी भी करवा ली, साइक्लोजिस्ट को दिखाया; कुछ लाभ नहीं हुआ।ऐसे लोग इतनी बड़ी संख्या में हैं की मुझे बी आश्चर्य है।

बौद्धिक जागत उसकी बात सुनकर हँसता है; पर उसे अनेक बातों को ज्ञान नहीं। वह इस विषय को समझाने कि जगह उसका उपहास उड़ाने लगता है।

बहुत कम लोगों को ज्ञात हैं की भारतीय तन्त्र-शास्त्र में एक विशाल रसायन विज्ञान अहि। यह इतना विशाल है की इसकी विशालता को देख कर आश्चर्य होता है।उससे भी बड़ा आश्चर्य उसके प्रयोगों को देखकर होता है। यह इतना खतरनाक है कि प्रत्येक समाज को इससे सतर्क रहना चाहिए; क्योंकि इनमें से कुछ नुस्खों को जानकर जंगल, देहात-शहर, गली-गली ओझा-तांत्रिक बैठे है। बहुत से लोग तो करिश्माई बाबा, इस्श्वर अवतार आदि जाने क्या क्या बन गये हैं ; परन्तु ये सारे रसायन –शास्त्र के चमत्कार है। अजीबोगरीब रिजल्ट वाले प्रयोग हैं। इसके लिए किसी सिद्धि कि जरूरत नहीं होती। ये सिद्ध योग हैं।

आईये इन प्रयोगों को नजदीक से देखें।किसी द्रव का एक बूँद आपको खान-पान में दे दिया गया। तीन दिन कुछ न हुआ, इसके बाद शारीरिक-मानसिक समस्याएं शुरू हो गयी। डॉक्टरी होने लगी, तांत्रिक-मान्त्रिक हुआ। कहीं कुछ न निकला पर मर्ज चाहे मानसिक हो या शारीरिक रहस्यमय लक्षणों के साथ बढ़ता चला गया।दुनिया का कोई डॉक्टर किसी विजातीय तत्व को नहीं पकड़ सकता और वह व्यक्ति परलोक सिधार जाएगा।

एक धूल घर में फेंक दी। जैसे-जैसे वह हवा में घुलेगा, झाडूं लगेगा; उड़ेगा सांस से अंदर जायेगा और सारे घर के सदस्यों को अनेक लक्षणों से पीड़ित कर देगा।

कुछ जड़ी-बूटियों को पीसा, विशेष विधियों से तेल बनाया, विशेष बाती बनाई, जलाई। वहां बैठे सभी लोगों को अपना-अपना ईष्ट नजर आने लगा।

सिर के चांद पर हाथ रखा एक बूँद द्रव जो हथेली में लगा है, सनसनाता रीढ़ में उतर गया। असामान्य अनुभूति, अतिरिक्त शक्ति का अनुभव; पर इसके बाद अनजाने घोर उप्द्र्व१ फिर वह गुरु! फिर वह कमरा! फिर कुछ दिन रहता।

जाने कितने नुस्खे हैं। नपुंसक बनाने वाले , बन्ध्या बनाने वाले, पथ भ्रष्ट करने वाले । प्रवृत्ति बदलने वाले , खेत बरबाद करनेवाले , व्यवसाय बर्बाद करने वाले आदि आदि। रोग ठीक करने वाले, बचाने वाले भी। इसके प्रयोगों से मायावी शक्तियों का मायाजाल भी बनाया जा सकता है।

अब सवाल है कि क्या ऐसा सम्भव हैं?

जरा हेमियोपैथिक साइंस की ओर मुड़िये। एक बूँद दवा 60 दिन – 90 दिन तक क्रियाशील रहती हैं और जान भी बचा सकती है। आपके प्राण भी ले सकती हैं और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आयेगा ही नहीं कि इसे कोई दवा दी गयी थी। लोग सोचते हैं क्या यार! एक बूँद?………..पर वह एक बूँद गंभीर रोगों को ठीक कर देती है, तो उसी रोग को प्रकट करने वाली भी वही हैं।अंतर केवल, प्रक्रियाओं, योगों आदि का है।

जब वहाँ संभव हो सकता हैं, तो यहाँ क्यों नहीं?

हाँ

लक्षण

एकाएक प्रवृत्ति बदल जाए और कारण समझ में न आये।
कोई रोग हो, पर कारण ज्ञात न हो।
बार-बार एक ही प्रकार के सपने आये।
बार-बार भयानक दुनिया और प्राणी दिखते हो।
एका एक काम ज्वाला एब्नार्मल हो जाए।
हिंसक प्रवृत्ति, अजीब सी बाते , अजीब सी हंसी।
नाभि के नीचे से कुछ उठना ह्रदय फिर मस्तिष्क पर कब्जा करना , दौरा, बेहोशी।
बिस्तर में किसी के होने का अनुभव, अपने साथ चलने या अपने अंदर किसी दूसरे के होने कि अनुभूति! सपने या अनुभूति में अदृश्य शक्ति कि रति!
परिवार में एकाएक कलह होना।
सबकुछ ठीक होते हुए भी सन्तान न होना।
पति-पत्नी का आपसी संसर्ग न हो पाना, पर सम्बन्ध में कोई रूकावट न होना; यदि हो।
मूत्र नली, गर्भाशय, योनि, हृदय , मस्तिष्क में जलन उत्पन्न होना।

इस प्रकार कि असामान्य प्रवृत्तियाँ , जिनके कारण सामने न हो; इसके लक्षण समझे गये है। इसमें अनुभूतियों का भयानक मायाजाल भी शामिल हैं।

चंडीगढ़ की एक कैम्ब्रिज में पढ़ी युवती को ठीक 12 बजे रात में खिड़की से धुंआ, धुए में भयानक आकृति कमरे में आकर पैरों से समाकर सारे शरीर में व्याप्त हो जाता था; फिर वह बेहोश हो जाती थी और उसकी आत्मा भयानक जंगल में एक भयानक अघोरी के पास होती थी। यह उसका भ्रम नहीं था। उसके पैरों से ऊपर चढ़ता धुंआ वहाँ बैठे लोगों को भी दिखाई पड़ता था। तीन साल वह मेडिकल, तन्त्र –मंत्र भटकती रही। जब मेरे पास आई, तो उसे पेड़ सडक पर चलते दिखाई देते थे। उसके ऊपर श्रृंखला में कई कार्यवायियाँ कि गयी थी।

जालंधर में तीन युवतियां एक ही परिवार में एक ही दुष्ट आत्मा से परेशान थी; जिसे उनपर स्थापित किया गया था और यह उसकी सगी भाभी का गुत्प कारनामा था। उन्हें प्रेताविष्ट वस्तु खिला दी गयी थी।

निदान

इसके निदान के लिए गंभीरता से परीक्षण और लक्षणों एवं बातचीत; नाड़ियों एवं आँखों, नखों एवं बालों कि स्थितियों को जानकर – निदान कि विधि निकाली जाती है। अक्सर इनका इलाज तामसिक प्रवृत्ति और तामसी तन्त्र से ही हो पाता है।

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