ऊपरी बाधाओं और नजर दोष के शमन के लिए निम्नोक्त हनुमान मंत्र का जप करना चाहिए।
ओम ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रीं ओम नमो
भगवतेमहाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत-पिशाच-शाकिनी डाकिनी- यक्षिणी-पूतना मारी महामारी यक्ष-राक्षस भैरव-वेताल ग्रह राक्षसादिकम क्षणेन हन हन भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्वर रुद्रावतार हुं फट स्वाहा। इस मंत्र को दीपावली की रात्रि, नवरात्र अथवा किसी अन्य शुभ मुहूर्त में या ग्रहण के समय हनुमान जी के किसी पुराने सिद्ध मंदिर में ब्रह्मचर्य पूर्वक रुद्राक्ष की माला पर दस हजार बार जप कर उसका दशांश हवन करके सिद्ध कर लेना चाहिए ताकि कभी भी अवसर पड़ने पर इसका प्रयोग किया जा सके।
सिद्ध मंत्र से अभिमंत्रित जल प्रेत बाधा या नजर दोष से ग्रस्त व्यक्ति को पिलाने तथा इससे अभिमंत्रित भस्म उसके मस्तक पर लगाने से वह इन दोषों से मुक्त हो जाता है। उक्त सिद्ध मंत्र से एक कील को १००८ बार अभिमंत्रित कर उसे भूत-प्रेतों के प्रकोप तथा नजर दोषों से पीड़ित मकान में गाड़ देने से वह मकान कीलित हो जाता है तथा वहां फिर कभी किसी प्रकार का पैशाचिक अथवा नजर दोषजन्य उपद्रव नहीं होता।