मांगलिक दोष के निवारण के लिए पीपल विवाह , कुम्भ (घड़ा) विवाह , मूर्ति विवाह का भी उपाय बताया जाता हैं . ऐसा तब करते हैं जब कन्या की कुंडली में मंगल का स्थान मारक हो या कुंडली दो विवाह दर्शाता हो .
यदि वर की कुंडली में मंगल मारक हो तो ऐसा विधान नहीं बताया गया हैं . ऐसा विवाह करते समय यह याद रखे की इसको बहुत गोपनीय ढंग से करे . ऐसे विवाह की जानकारी कन्या के पिता को भी ना हो .
मांगलिक कन्या को चाहिए की वो कम से कम पांच साल तक मंगला गौरी का व्रत करे. यदि कन्या मांगलिक हो तो ऐसा माना जाता हैं की लड़की का विवाह देखने उसका पिता नहीं बल्कि ताऊ , चाचा , भाई या कोई अन्य रिश्तेदार जाए . ऐसे में विवाह के तय होने की संभावना ज्यादा रहती हैं .