मंगल दशम में हो तो पिता, राज्य, व्यापार से भाग्योदय होता है। माता-भूमि भवन से लाभ, नवम में हो तो भाग्य बलशाली होता है। षष्ठ में हो तो शत्रु न होकर भाग्यशाली, गुस्सैला भी हो सकता है। तृतीय एकादश में भी शुक्र फलदायी होगा।
kark lagna dhanishta nakshatra – कर्क लग्न धनिष्ठा नक्षत्र – कर्क लग्न धनिष्ठा नक्षत्र – Cancer ascendant dhanishta Star