जननेन्द्रिय के अन्य रोग
रोग और उसमें प्रयोग की जाने वाली औषधियां :-
1. रस-टॉक्स :- यदि लिंगमुण्ड की त्वचा पर खुजली हो या लिंगमुण्ड में जलन हो तो रस-टॉक्स औषधि की 6 शक्ति का प्रयोग करना लाभकारी होता है।
2. मर्क-कौर :- लिंग मुण्ड (सुपारी) अर्थात लिंग का अगला भाग जो त्वचा से ढकी रहती है यदि उसमें फटने या चिर पड़ने जैसे लक्षण दिखाई दें तो मर्क-कौर औषधि का सेवन करना लाभदायक होता है।
3. कैनाबिस :- लिंग पर सूजन आना, लाली पड़ना और गर्मी महसूस होना आदि लक्षणों में कैनाबिस औषधि की 3x मात्रा का सेवन करना हितकारी होता है।
4. नाइट्रिक-एसिड :- सुपारी की श्लैष्मिक झिल्ली में सूजन होने के साथ उससे पीब निकलने के लक्षणों में नाइट्रिक-एसिड औषधि की 6 शक्ति का सेवन करना लाभदायक होता है। इस औषधि का प्रयोग लिंग की त्वचा की खुजली, जलन तथा फुन्सियों को दूर करने के लिए करना चाहिए।
5. कोलोसिन्थ :- लिंगमुण्ड को ढकने वाली त्वचा के हटने के कारण लिंगमुण्ड ढक नहीं पा रहा हो तो इस तरह के लक्षण को ठीक करने के लिए कोलोसिन्थ औषधि की 6 शक्ति प्रयोग करना चाहिए।
6. पल्सेटिला :- लिंगमुण्ड के नीचे से पीले रंग का पीब निकलने पर पल्सेटिला औषधि की 3 शक्ति का सेवन करना चाहिए।
7. थूजा :- लिंग पर मस्सा होने या श्लैष्मिक झिल्ली पर फुन्सियां होने पर थूजा औषधि की 30 शक्ति का उपयोग किया जाता है।
8. प्लाटिना :- यदि किसी स्त्री को तीव्र काम इच्छा (संभोग) सताती हो और वह उत्तेजना को दूर करने के लिए अस्वाभाविक क्रिया का उपयोग करती हो तो उसकी इस उत्तेजना को दूर करने के लिए प्लाटिना औषधि की 6 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए। इसके सेवन से तीव्र उत्तेजना शांत होती है और अन्य दोष भी दूर होते हैं।
9. कैन्थरिस :- हाथ से या अन्य किसी दूसरे अस्वाभाविक उपायों के द्वारा रतिक्रिया पूरा करने को हस्तमैथुन कहते हैं। ऐसी क्रिया की आदत यदि किसी पुरुष में हो तो उसे कैन्थरिस औषधि की 1x या 6 शक्ति का सेवन कराना चाहिए।
10. मेजोरेना :- यदि किसी रोगी को हस्तमैथुन की आदत पड़ गई हो तो उसे ओरिगेनम मेजोरेना औषधि की 3 शक्ति का सेवन करना चाहिए। इस औषधि को खाना खाने से कुछ देर पहले लेनी चाहिए।
11. फास्फोरस :- हस्तमैथुन से पैदा हुए रोग में फास्फोरस औषधि की 6 से 200 शक्ति के बीच की कोई भी शक्ति प्रयोग किया जा सकता है। इसमें सल्फर औषधि की 12 शक्ति या एसिड-फास औषधि की 1 से 30 का भी प्रयोग किया जा सकता है।
12. पिकरिक ऐसिड :- यदि किसी पुरुष में अधिक कामवासना अर्थात संभोग करने की तीव्र इच्छा पैदा होती हो तो उसे पिकरिक ऐसिड औषधि की 6 शक्ति का सेवन करना चाहिए।
13. फास्फोरस :- कुछ लोग गर्भ ठहरने के डर से पूर्ण संभोग क्रिया नहीं कर पाते हैं और संभोग करते समय पीर्यपात होने से कुछ देर पहले ही संभोग करना छोड़ देते हैं जिसे अपूर्ण संभोगक्रिया कहते हैं। इस तरह अधुरे संभोग क्रिया करने से व्यक्ति का मन अप्रसन्न व अशांत हो जाता है और मन में तनाव भी पैदा हो जाती है। इस तरह के लक्षणों में फास्फोरस औषधि की 3 से 30 शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है। इस औषधि के प्रयोग के साथ उचित आहार लेना चाहिए और एक सप्ताह के बाद अच्छी तरह रतिक्रिया करनी चाहिए।
14. एसिड-फास :- जननेन्द्रिय की कमजोरी के कारण से संभोग की क्रिया की इच्छा पूरी न होने के कारण से उत्पन्न रोग को ठीक करने के लिए एसिड-फास औषधि की 1 से 6 शक्ति का सेवन करना चाहिए।
14. ग्रैफाइटिस या ऐमोन-कार्ब :- यदि किसी स्त्री में संभोगक्रिया की इच्छा समाप्त हो गई हो और वह संभोग करना न चाहती हो तो उसे ऐमोन-कार्ब औषधि की 3x मात्रा या ग्रैफाइटिस औषधि की 6 शक्ति का सेवन करना चाहिए।
15. जेलसीमियम :- लिंगेन्द्रिय की कमजोरी के लक्षणों में जेलसीमियम औषधि 1x मात्रा या 3 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।
16. सेबाल-सेरुलेटा :- अधिक हस्तमैथुन करने के कारण यदि लिंग में ढीलापन आ गया हो और वह संभोग के समय कड़ा न हो पा रहा हो तो सेबाल-सेरुलेटा- मदर टिंचर औषधि की 5 से 8 बूंद रोज 2 सेवन करना चाहिए। इस औषधि का सेवन अधिक हस्तमैथुन के कारण आई कमजोरी को दूर करने में भी किया जा सकता है।
17. कैल्के-कार्ब :- यदि किसी व्यक्ति में संभोग करने की इच्छा समाप्त हो गई हो और संभोग करते समय उसका जल्दी वीर्यपात हो गया हो तो उसे कैल्के-कार्ब औषधि की 6 शक्ति का सेवन करना चाहिए।
18. जेल्स :- संभोग क्रिया करने में बिल्कुल असमर्थ होने और संभोग करते समय लिंग का ढीला पड़ जाने के लक्षणों में जेल्स- मदर टिंचर औषधि का सेवन करना हितकारी होता है। इस औषधि के सेवन से संभोग करने की शक्ति बढ़ती है।
19. एसिड-नाइट्रिक :- अधिक रतिक्रिया करने के कारण व्यक्ति में आई असमर्थता को दूर करने के लिए लाइको औषधि की 30 शक्ति का सेवन करना लाभकारी होता है। इस रोग में एसिड-नाइट्रिक औषधि की 6 से 200 की बीच की कोई भी शक्ति सेवन किया जा सकता है।
औषधियों से उपचार करने के साथ ही अन्य उपचार :-
लिंगमुण्ड की त्वचा पर खुजली हो या लिंगमुण्ड में जलन हो तो उपचार करने के लिए गर्म पानी और साबुन से रोगग्रस्त स्थान को धोकर साफ करना चाहिए और फिर औषधियों से उपचार करना चाहिए।