बद्ध कशेरुका संधिशोथ (Ankylosing Spondylitis)
जानकारी:-
बद्ध कशेरुका संधिशोथ रोग के कारण व्यक्ति की मेरुरज्जु भाग में सूजन आ जाती है जिसके कारण शरीर के ढांचे के आस-पास का भाग ढीला पड़ जाता है तथा कशेरुका में संगलन (फ्यूजन) हो जाता है और उसके पास के भाग में कड़ापन तथा जकड़न बढ़ जाती है। इस रोग से मेरुरज्जु पूरी तरह से प्रभावित होता है और इस भाग में तेज अकड़न हो जाती है तथा यह एक सीधे बांस की तरह हो जाता है इसलिए इस रोग को बैम्बू स्पाईन भी कहते हैं।
बद्ध कशेरुका संधिशोथ के लक्षण:-
इस रोग के कारण रोगी के मेरुरज्जु भाग में अकड़न हो जाती है तथा दर्द होता है। इस भाग के जोड़ों में तेज दर्द होता है। इसके कारण रोगी व्यक्ति अपनी गर्दन को मोड़ नहीं पाता है तथा झुका भी नहीं पाता है।
बद्ध कशेरुका संधिशोथ का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-
जब इस रोग का जल्दी ही पता लग जाए तो इसका उपचार तुरंत ही शुरू कर देना चाहिए क्योंकि यदि यह रोग जब अधिक बढ़ जाता है तो यह मरीज को विकलांग बना सकता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को भोजन संबन्धी नियमों का पालन करना चाहिए तथा दूध या दूध से बने पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए तथा नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को सुबह के समय में गर्म पानी से स्नान करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को सप्ताह में 1 बार भाप स्नान तथा सौना स्नान करना चाहिए।
पीड़ित व्यक्ति को जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए उसके जोड़ों पर गर्म व ठंडा सेंक करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को उपचार कराते समय बीच-बीच में अपने पैरों तथा हाथों को गर्म पानी से धोना चाहिए।
हडि्डयों के जोड़ों के जिस भाग में दर्द हो रहा हो उस भाग पर ठंडी पट्टी करनी चाहिए।
प्रभावित भाग पर प्रतिदिन गर्म मिट्टी का लेप करना चाहिए इसके फलस्परूप जोड़ों में दर्द होना ठीक हो जाता है।
दर्द से प्रभावित भाग को सूर्य की किरणों के सामने रखना चाहिए क्योंकि सूर्य की किरणों में पराबैंगनी किरणें होती हैं जो दर्द को ठीक कर देती हैं।
रोगी को अपने दर्द से प्रभावित भाग पर गर्म पानी के जेट से मालिश करनी चाहिए और इसके बाद हर्लपूल (भंवर) स्नान करना चाहिए।
जानकारी-
इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से यह रोग कुछ ही दिनों में पूरी तरह से ठीक हो जाता है।