bivaiyaan (chrachkaid haiail)

बिवाइयां (Cracked heel) – पुरुष रोग का प्राकृतिक चिकित्सा – bivaiyaan (chrachkaid haiail) – purush rog ka prakritik chikitsa

बिवाइयां (Cricked heel)
जानकारी:-
बिवाइयां पैरों की मोटी त्वचा पर होती हैं और ये अधिकतर एड़ियों व तलुवों पर होती हैं। इस रोग के कारण रोगी को बहुत अधिक परेशानी होती है। इस रोग के कारण एड़ी तथा तलुवों के रोगग्रस्त भाग पर बहुत अधिक जलन तथा दर्द होता है।

बिवाइयां रोग होने का कारण:-

यह रोग उन व्यक्तियों को होता है जिनके पैरों के रक्त संचालन वाहिकाओं में कोई दोष उत्पन्न हो जाता है।
शरीर के खून में दूषित द्रव उत्पन्न हो जाने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
पैरों की त्वचा में किसी तरह की खराबी आ जाने के कारण भी बिवाइयां रोग हो सकता है।

बिवाइयां रोग होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

इस रोग को ठीक करने के लिए रोगी को कम से कम 7 दिनों तक फलों का सेवन करके उपवास रखना चाहिए ताकि उसके शरीर का खून साफ हो सके।
इस रोग से पीड़ित रोगी को उपवास रखने के दौरान सुबह तथा शाम को गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए ताकि पेट साफ हो सके।
इस रोग से पीड़ित रोगी को फलों का अधिक सेवन करना चाहिए तथा दूध और मट्ठे का सेवन करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को बिवाई वाले भाग को नमक मिले गुनगुने पानी से धोना चाहिए और फिर चालमोगरे के तेल को उस पर लगाना चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
बिवाई वाले भाग को नमक मिले गुनगुने पानी से धोकर फिर उस पर लाल रंग की बोतल का सूर्यतप्त तेल लगाना चाहिए तथा उस भाग पर कम से कम 15 मिनट तक मालिश करनी चाहिए। रोगी व्यक्ति को बिवाई वाले भाग पर कम से कम 3 बार मालिश करनी चाहिए।
बिवाई रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन स्नान करना चाहिए तथा इसके बाद शुष्क घर्षण स्नान करना चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।

बिवाइयां (Cracked heel) – bivaiyaan (chrachkaid haiail) – पुरुष रोग का प्राकृतिक चिकित्सा – purush rog ka prakritik chikitsa

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