kusht (leprosy)

कुष्ठ (Leprosy) – पुरुष रोग का प्राकृतिक चिकित्सा – kusht (leprosy) – purush rog ka prakritik chikitsa

कुष्ठ (L​eprosy)
जानकारी:-
कुष्ठ (कोढ़) रोग एक प्रकार का चर्मरोग है। इस रोग के कारण शरीर का खून जहरीला होकर शरीर के कुछ अंगों को खराब कर देता है।

कुष्ठ रोग के प्रकार है-

श्वेतकुष्ठ कुष्ठ:-

श्वेतकुष्ठ को सफेद दाग के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग के कारण शरीर के अनेक भाग पर सफेद चमकीले दाग से पड़ जाते हैं। दाग वाले भाग के रोंगटे और बाल भी सफेद हो जाते हैं।

कुष्ठ रोग होने के कारण:-

कुष्ठ रोग होने का सबसे प्रमुख कारण शरीर के खून का खराब हो जाना है।
मल-मूत्र के वेग को रोकने के कारण शरीर का खून दूषित हो जाता है जिसके कारण से कुष्ठ रोग हो जाता है।
हार्मोन्स की गड़बड़ी होने तथा मानसिक आघात होने के कारण शरीर की रक्तसंचारण प्रणाली में गड़बड़ी हो जाती है जिसके कारण से कुष्ठ रोग हो जाता है।
अधिक नमक, मिर्च-मसालें वाली चीजों के खाने से रक्त दूषित हो जाता है जिसके कारण से व्यक्ति को कुष्ठ रोग हो जाता है।
शक्तिशाली एन्टीबायोटिक तथा तेज औषधियों का सेवन करने के कारण भी कुष्ठ रोग हो जाता है क्योंकि इन दवाइयों के कारण शरीर के खून में जहरीले तत्व फैल जाते हैं।
अधिक नशीली चीजों का सेवन करने के कारण भी यह रोग हो सकता है क्योंकि इन नशीली चीजों के कारण शरीर का रक्त दूषित हो जाता है।

कुष्ठ रोग को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-

कुष्ठ रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए तथा इसके साथ-साथ प्रतिदिन गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन कुछ दिनों तक उपचार करने से कुष्ठ रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
कुष्ठ रोग से पीड़ित रोगी को सप्ताह में कम से कम 2 बार भापस्नान करना चाहिए ताकि पसीना अधिक निकले। इसके बाद रोगी को आधे घण्टे तक सुबह के समय में मेहनस्नान और शाम के समय में उदरस्नान करना चाहिए।
कुष्ठ रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक फलों तथा सब्जियों का रस पीना चाहिए तथा फिर बिना पके हुए भोजन का सेवन करना चाहिए। हरी सब्जियां तथा अंकुरित अन्न का सेवन बहुत लाभदायक होता है।
रोगी व्यक्ति को अपने शरीर के रोगग्रस्त भाग पर हरी बोतल के सूर्यतप्त नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर लगाना चाहिए तथा इसके साथ-साथ रात के समय में अपने पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए। रोगी को कम से कम 8 दिनों तक हरी तथा पीले रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल 25 मिलीलीटर की मात्रा दिन में 8 बार पीना चाहिए।
कुष्ठ रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में नंगे बदन धूपस्नान करना चाहिए क्योंकि सूर्य की किरणों में कुष्ठ रोग के कीटाणुओं को मारने की क्षमता होती है।
कुष्ठ रोग से पीड़ित रोगी को रात के समय में सोने से पहले किसी बर्तन में कच्चे चने डालकर उसमें पानी भरकर, भिगोने के लिए रखना चाहिए। सुबह के समय में उठकर रोगी व्यक्ति को ये चने खा जाने चाहिए तथा इसके पानी को पी लेना चाहिए। इस क्रिया को कुछ दिनों तक लगातार करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
चुकन्दर, भिगोए हुए अंकुरित काले चने, अंजीर, खजूर, तुलसी के पत्ते, त्रिफला में थोड़ी हल्दी मिलाकर तथा नीम की पत्तियों का सेवन करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
चने का साग लगातार 2 महीने तक खाने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को भोजन में नमक तथा चीनी नहीं खानी चाहिए।
रात को सोते समय तांबे के बर्तन में पानी को भरकर रख दें। सुबह के समय में इस पानी को पीने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
कुष्ठ रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने पाचन-संस्थान की सफाई करनी चाहिए ताकि उसकी पाचनक्रिया ठीक प्रकार से हो सके। रोगी को अपने पेट की सफाई करने के लिए एनिमा क्रिया करनी चाहिए। फिर रोगी को अपने पेट पर मिट्टी की पट्टी का लेप करना चाहिए तथा इसके बाद कटिस्नान, कुंजल क्रिया करनी चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से कुष्ठ रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

जानकारी-

इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा उपचार करने से कुष्ठ रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

कुष्ठ (Leprosy) – kusht (leprosy) – पुरुष रोग का प्राकृतिक चिकित्सा – purush rog ka prakritik chikitsa

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