motapa (obesity)

मोटापा (Obesity) – पुरुष रोग का प्राकृतिक चिकित्सा – motapa (obesity) – purush rog ka prakritik chikitsa

मोटापा (Obesity)
जानकारी:-
जब किसी व्यक्ति के शरीर में चर्बी अधिक हो जाती है तो उसे मोटापा रोग कहते हैं। मोटापा रोग हो जाने के कारण कई व्यक्तियों को कई प्रकार की बीमारियां हो जाती है जैसे- मधुमेह, रक्तचाप, लकवा, हृदय रोग, चर्मरोग, अनिद्रा, गठिया, दमा, बांझपन तथा नपुंसकता आदि। मनुष्य का मोटापा और वजन बढ़ना एक सी बात नहीं है, बल्कि मोटापा शब्द का प्रयोग तब किया जाता है, जब व्यक्ति के शरीर में चर्बी अधिक बढ़ जाती है तथा उसका वजन उसके कद अनुसार कम से कम 20 प्रतिशत से भी ज्यादा हो जाता है तो उस व्यक्ति को मोटा कहा जाता है।

मोटापा रोग से पीड़ित मनुष्य की चर्बी बढ़ जाती है जिसके कारण उसका शरीर भारी वजन के साथ फैला हुआ रहता है और वह व्यक्ति अधिक मोटा दिखने लगता है।

मोटापा रोगी की वह अवस्था होती है जिसमें शरीर के अन्दर बहुत अधिक मात्रा में चर्बी जमा हो जाती है। मोटापा बढ़ने से हृदय तथा फेफड़ों जैसे भीतरी अंगों पर ही केवल असर नहीं पड़ता, बल्कि मोटे व्यक्ति को मधुमेह, खून का दबाव तथा जोड़ों में जलन आदि रोग होने की भी संभावना बढ़ जाती है। इस रोग के कारण रोगी को बहुत सारे कार्यों को करने में परेशानी होती है जैसे- चलना, फिरना, दौड़ना, उठना तथा बैठना आदि।

मोटापा रोग होने का कारण-

यह रोग अधिक भोजन करने के कारण होता है, ज्यादा भोजन करने से व्यक्ति के शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ जाती है। जिसके कारण मोटे लोगों की ऊर्जा सम्बंधी आवश्यकताएं भी सामान्य से कम होती हैं क्योंकि उनकी पाचनक्रियाएं सामान्य से भी धीमी हो जाती है।
शरीर में मोटापा रोग होने का सबस प्रमुख कारण अपने भोजन में अत्यधिक मात्रा में चर्बी बनाने वाले पदार्थ तथा श्वेतसारिक पदार्थों का उपयोग करना है।
मोटापा रोग किसी ग्रंथि की दोषपूर्ण अवस्था होने के कारण से हो सकता है क्योंकि कोई ग्रंथि ठीक काम नहीं करती तो व्यक्ति चाहे कम से कम भोजन का सेवन भी करे लेकिन उस व्यक्ति का भार बढ़ता ही चला जाता है तथा उसके शरीर में चर्बी की मात्रा बढने लगती है और यह रोग व्यक्ति को हो जाता है।
मनुष्य के शरीर में पाई जाने वाले थाइराइड ग्रन्थि के ठीक से काम न करने के कारण शरीर में चर्बी की मात्रा बढ़ने लगती है जिसके फलस्वरूप व्यक्ति को मोटापा रोग हो जाता है।
अगर भोजन को अच्छी तरह से चबाकर न खाया जाए तो शरीर में ज्यादा कैलोरी बनती है जिसके कारण मनुष्य के शरीर में वजन तथा चर्बी में बढ़ोतरी होती है और मोटापा रोग हो जाता है।
स्त्रियों में यौनग्रन्थि का कार्य सक्रिय होने से भी चर्बी की वृद्धि हो जाती है जिसके कारण स्त्रियां मोटी हो जाती हैं।
अधिक सोने के कारण भी यह रोग व्यक्ति को हो जाता है।
शारीरिक व्यायाम न करना तथा अधिक बैठे रहने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
नमकीन, मिठाई, तली-भुनी हुई चीजों तथा मैदा का अधिक प्रयोग करने से यह रोग हो सकता है।
शराब, चाय, कॉफी, पान, तम्बाकू आदि का अधिक सेवन करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।

मोटापा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-

इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने भोजन करने की आदत पर संतुलन करना चाहिए और इसके बाद प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए।
शारीरिक रूप से नियमित व्यायाम करने से काफी हद तक इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
भूख से ज्यादा भोजन कभी नहीं करना चाहिए तथा शर्करा और चर्बी वाले पदार्थो का भोजन नहीं खाना चाहिए।
जहां तक हो सके तो भोजन में नमक का इस्तेमाल कम करना चाहिए। यदि नमक खाना भी है तो सेंधानमक का इस्तेमाल करना चाहिए।
अपने भोजन में साग-भाजी तथा हरी सब्जियों का रस ज्यादा लें। अंकुरित दालों का सेवन भी करते रहना चाहिए। अधिकतर गेहूं या चावल से बने पदार्थ ही खाएं। अपने आहार की मात्रा को घटाते रहना चाहिए, इससे चर्बी का बनना रुक जाता है।
वैसे कहा जाए तो उतना ही भोजन सेवन करना चाहिए जितनी की शरीर को आवश्यकता हो। प्रतिदिन सुबह के समय में खाली पेट स्वच्छ पेय या पानी में शहद व नींबू डालकर हल्का गर्म पानी पीएं। इससे कुछ दिनों में ही रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
तांबा-चांदी-सोना के बर्तन में पानी रखकर उसे गरम या गुनगुना करके पीने से शरीर की फालतू चर्बी कम हो जाती है।
मोटापा रोग से पीड़ित रोगी को एक गिलास पानी में तुलसी का रस मिलाकर पीना चाहिए तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी तथा इसके कुछ देर बाद पेट पर गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए। रोगी को एनिमा क्रिया करके अपने पेट को भी साफ करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को कुंजल क्रिया करके उसके बाद भाप स्नान करना चाहिए और सप्ताह में एक बार गीली लपेट का शरीर पर प्रयोग करना चाहिए तथा शंख प्रक्षालन, सूर्यस्नान, गर्म पादस्नान तथा सूखा घर्षण करना चाहिए। इससे मोटापा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
सूर्यतप्त नांरगी बोतल का पानी प्रतिदिन पीने तथा गहरी सांस लेते हुए सैर पर जाने और प्रतिदिन 2 मिनट तक ठहाके लगाकर हंसने से मोटापे का रोग ठीक होने लगता है।
मोटापे रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं जिसको करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये आसन इस प्रकार हैं- भुजंगासन, शलभासन, वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, पवनमुक्तासन, उडि्डयान बंध, मूलबंध तथा सूर्य नमस्कार आदि।
रोगी व्यक्ति को रात को सोते समय तांबे के लोटे में पानी रखना चाहिए। इस पानी को सुबह के समय में पीने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

मोटापा (Obesity) – motapa (obesity) – पुरुष रोग का प्राकृतिक चिकित्सा – purush rog ka prakritik chikitsa

Tags: , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , ,

Leave a Comment

Scroll to Top