pitti ka uchalna (urticaria disorder)

पित्ती का उछलना (Urticaria disorder) – पुरुष रोग का प्राकृतिक चिकित्सा – pitti ka uchalna (urticaria disorder) – purush rog ka prakritik chikitsa

पित्ती का उछलना (Urticaria disorder)
जानकारी:-
शरीर में मौजूद तीन धातुओं में वात, कफ और पित्त होता है। जब शरीर में पित्त की मात्रा अधिक हो जाती है या किसी कारण से शरीर में पित्त का प्रकोप बढ़ जाता है तो उससे उत्पन्न होने वाले विकार को पित्ती का उछलना कहते हैं। पित्त से उत्पन्न विकार गर्मी के रूप में शरीर से बाहर निकलता है, जिससे शरीर पर कभी-कभी लाल रंग के चकत्ते या दाने उभर आते हैं। यह रोग लगभग 3 घंटे या 3 दिन तक रहने के बाद अपने आप समाप्त हो जाता है। परन्तु इस रोग के होने पर इसका उपचार कराना आवश्यक है क्योंकि इसका उपचार न कराने पर चकत्ते या दाने तो शांत हो जाते हैं, परन्तु शरीर के दूषित द्रव जिसकी गर्मी के कारण यह रोग उत्पन्न होता है, वे बाहर नहीं निकल पाते। अत: इस गर्मी को निकालने के लिए जल चिकित्सा का प्रयोग करना चाहिए।

प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा रोग का उपचार-

इस रोग में रोगी को पहले ठंडे पानी से अधिक समय तक पूर्णअभिसिंचन करना चाहिए। इसके बाद गीली मिट्टी की मालिश रोगी के शरीर पर करनी चाहिए। इस तरह इस क्रिया को 1 से 2 बार करने पर पित्ती अर्थात शरीर की गर्मी समाप्त हो जाती है और शरीर के अन्दर के दूषित द्रव बाहर निकल जाते हैं। इस रोग में सामान्य रूप से हल्का भोजन करना चाहिए और कई दिनों तक सिज बाथ लेना चाहिए।

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