अखंड ब्रह्मचर्य

inclusion ceremony

समावर्तन संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Inclusion ceremony – brahmacharya vigyan

  परिणीत युवक, परिणीता युवती, नव्य-नव्य युवक, नव्या-नव्या युवती जो ब्रह्ममय, वेदमय उदात्त विचारों के आधुनिकतम सन्दर्भों के आध्यात्मिक, आधिभौतिक, आधिदैविक विज्ञानों में निष्णांत हों उनके लिए यह संस्कार किया जाता है। 24 वर्ष के वसु ब्रह्मचारी अथवा 36 वर्ष के रुद्र ब्रह्मचारी या 48 वर्ष के आदित्य ब्रह्मचारी जब सांगोपांग वेदविद्या, उत्तम शिक्षा, और […]

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ways-to-live-celibate-life

ब्रह्मचर्य जीवन जीने के उपाय – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Ways to live celibate life – brahmacharya vigyan

► परिचय ब्रह्मचर्य जीवन जीने के उपाय- शरीर के अन्दर विद्यमान ‘वीर्य’ ही जीवन शक्ति का भण्डार है। शारीरिक एवं मानसिक दुराचर तथा प्राकृतिक एवं अप्राकृतिक मैथुन से इसका क्षरण होता है। ► कामुक चिंतन आने पर निम्र उपाय करें जिस प्रकार गन्ने का रस बाहर निकल जाने के पश्चात ‘छूछ’ कोई काम का नहीं

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vedambha rites

वेदारम्भ संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Vedambha Rites – brahmacharya vigyan

  यह उपनयन के साथ-साथ ही किया जाता है। इस संस्कार को करके वेदाध्ययन प्रारम्भ किया जाता था। इसमें बालक में सुश्रव, सुश्रवा, सौश्रवस होने तथा इसके बाद यज्ञ की विधि फिर वेद की निधि पाने की भावना होती है। यह संस्कार महान् अस्तित्व पहचान संस्कार है। इसे संस्कारों का संस्कार कह सकते हैं। इस

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self control

आत्मसंयम – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Self-control – brahmacharya vigyan

  जिसने जीभ को नहीं जीता वह विषय वासना को नहीं जीत सकता। मन में सदा यह भाव रखें कि हम केवल शरीर के पोषण के लिए ही खाते हें, स्वाद के लिए नहीं। जैसे पानी प्यास बुझाने के लिए ही पीते है, वैसे ही अन्न केवल भूख मिटाने के लिए ही खाना चाहिए। हमारे

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thread ceremony

उपनयन संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Thread ceremony – brahmacharya vigyan

  इस संस्कार में यज्ञोपवीत या जनेऊ धारण कराया जाता है। इसके धारण कराने का तात्पर्य यह है कि बालक अब पढ़ने के लायक हो गया है, और उसे आचार्य के पास विद्याध्ययन के लिए व्रत सूत्र में बांधना है। यज्ञोपवीत में तीन सूत्र होते हैं जो तीन ऋणों के सूचक हैं। ब्रह्मचर्य को धारण

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power of restraint

संयम की शक्ति – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Power of restraint – brahmacharya vigyan

  ब्रह्मचर्य का ऊँचे में ऊँचा अर्थ यही हैः ब्रह्म में विचरण करना। जो ब्रह्म में विचरण करे, जिसमें जीवनभाव न बचे वही ब्रह्मचारी है। ‘जो मैं हूँ वही ब्रह्म है और जो ब्रह्म है वही मैं हूँ….’ ऐसा अनुभव जिसे हो जाये वही ब्रह्मचर्य की आखिरी ऊँचाई पर पहुँचा हुआ परमात्मस्वरूप है, संतस्वरूप है।

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ear piercing ceremony

कर्णवेध संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Ear-piercing ceremony – brahmacharya vigyan

  कान में छेद कर देना कर्णवेध संस्कार है। गृह्यसूत्रों के अनुसार यह संस्कार तीसरे या पांचवे वर्ष में कराना योग्य है। आयुवेद के ग्रन्थ सुश्रुत के अनुसार कान के बींधने से अन्त्रवृद्धि (हर्निया) की निवृत्ति होती है। दाईं ओर के अन्त्रवृद्धि को रोकने के लिए दाएं कान को तथा बाईं ओर के अन्त्रवृद्धि को

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understanding of celibacy

ब्रह्मचर्य की समझ – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Understanding of celibacy – brahmacharya vigyan

  तब ब्रह्मचर्य की चर्चा छिड़ने पर उन्होंने कहाः “कुछ दिन पहले एक भारतीय युवक मुझसे मिलने आया था। वह करीब दो वर्ष से अमेरिका में ही रहता है। वह युवक ब्रह्मचर्य का पालन बड़ी चुस्ततापूर्वक करता है। एक बार वह बीमार हो गया तो वहाँ के डॉ. को बताया। तुम जानते हो डॉक्टर ने

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chudakram ceremony

चूड़ाकर्म संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Chudakram ceremony – brahmacharya vigyan

  इसका अन्य नाम मुण्डन संस्कार भी है। रोगरहित उत्तम समृद्ध ब्रह्मगुणमय आयु तथा समृद्धि-भावना के कथन के साथ शिशु के प्रथम केशों के छेदन का विधान चूडाकर्म अर्थात् मुण्डन संस्कार है। यह जन्म से तीसरे वर्ष या एक वर्ष में करना चाहिए। बच्चे के दांत छः सात मास की आयु से निकलना प्रारम्भ होकर

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secret of concentration

एकाग्रता का रहस्य – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Secret of concentration – brahmacharya vigyan

  स्वामी विवेकानन्द हृषिकेश के बाद मेरठ आये। अपने स्वास्थ्य-सुधार के लिए विश्राम हेतु वे मेरठ में रुके। विवेकानंदजी को अध्ययन का अत्यंत शौक था। अध्यात्म एवं दर्शनशास्त्र की पुस्तकें वे बड़े चाव से पढ़ते थे। उनके एक शिष्य अखंडानंदजी उनके लिए स्थानीय पुस्तकालय से पुस्तके ले आया करते थे। एक बार विवेकानन्दजी ने प्रसिद्ध

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