कुंडली के दसवें भाव को वैदिक ज्योतिष में कर्म भाव कहा जाता है, तथा कुंडली का यह भाव मुख्य रूप से जातक के व्यवसाय के साथ जुड़े उतार-चढ़ाव तथा सफलता-असफलता को दर्शाता है। कुंडली में दसवें भाव के बलवान होने से तथा इस भाव पर एक या एक से अधिक शुभग्रहों का प्रभाव होने से जातक को अपने व्यवसायिक जीवन में बड़ी सफलताएं मिलतीं हैं तथा उसका व्यवसायिक जीवन आम तौर पर बहुत सफल रहता है। जातक के अपनी संतान के साथ संबंध तथा संतान से मिलने वाला सुख अथवा दुख देखने के लिए भी कुंडली के इस भाव पर विचार करना आवश्यक है।