Theology

caste ritual

जातकर्म संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Caste ritual – brahmacharya vigyan

  शिशु के विश्व प्रवेश पर उसके ओजमय अभिनन्दन का यह संस्कार है। इसमें सन्तान की अबोध अवस्था में भी उस पर संस्कार डालने की चेष्टा की जाती है। माता से शारीरिक सम्बन्ध टूटने पर उसके मुख नाकादि को स्वच्छ करना ताकि वह श्वास ले सके तथा दूध पी सके। यह सफाई सधी हुई दाई […]

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demarcation ceremony

सीमन्तोन्नयन संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Demarcation ceremony – brahmacharya vigyan

  सीमन्त शब्द का अर्थ है मस्तिष्क और उन्नयन शब्द का अर्थ है विकास। पुंसवन संस्कार शारीरिक विकास के लिए होता है तो यह मानसिक विकास के लिए किया जाता है। इस संस्कार का समय गर्भावस्था के चतुर्थ माह, चौथे में न कर पाए तो छठे, इसमें भी नहीं कर पाए तो आठवें माह में

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education to live a moderate life

संयमी जीवन जीने की शिक्षा – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Education to live a moderate life – brahmacharya vigyan

  विद्युत शक्ति के साथ खिलवाड़ किया जाएँ तो वो झटका मार देती है परन्तु यदि नियन्त्रित कर लिया जाए तो वह वरदान बन जाती है यह बात वासना एवं ब्रह्मचर्य के विषय में भी स्टीक बैठती है इसलिए ऋषि पतंजलि समाज को संयमी जीवन जीने की शिक्षा देते है। यद्यपि भारतीय धर्मग्रन्थों में ब्रह्मचर्य

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pusvan samskar

पुंसवन संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Pusvan Samskar – brahmacharya vigyan

  यह संस्कार गर्भावस्था के दूसरे व तीसरे माह में किया जाता है। इसका उदेश्य गर्भस्थ शिशु को पौरुषयुक्त अर्थात् बलवान, हृष्ट-पुष्ट,निरोगी, तेजस्वी, एवं सुन्दरता के लिए किया जाता है। चरक संहिता के अनुसार उकडूं बैठने, ऊंचे-नीचे स्थानों में फिरने, कठिन आसन पर बैठने, वायु-मलमूत्रादि के वेग को रोकने, कठोर परिश्रम करने, गर्म तथा तेज

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what is the need of celibacy

ब्रह्मचर्य की क्या जरूरत है – ब्रह्मचर्य विज्ञान | What is the need of celibacy – brahmacharya vigyan

  जो लोग ब्रह्मचर्य को सिर्फ पुराना और किताबी मानकर अपने मन मुखी जीवन का आनंद उठाने की ललक मे रहते हैं और अपने को वैज्ञानिक समझ वालों की श्रेणी मे समझते हैं, वे ब्रह्मचर्य की ऊर्जा के आनंद से रीते रह जाते हैं. हमारे भीतर एक जीवनी ऊर्जा शक्ति होती है, वह जब बढती

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brahmacharya sixteen rites

ब्रह्मचर्य सोलह संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Brahmacharya Sixteen Rites – brahmacharya vigyan

  ► गर्भाधान संस्कार स्वस्थ सुसंस्कृत युवक एवं युवती जो आयु परिपुष्ट हों सुमन, सुचित्त होकर परिवार हेतु सन्तान प्राप्ति के उद्देश्य से इस संस्कार को करते हैं। वैदिक संस्कृति में गर्भाधान को श्रेष्ठ गुण, कर्म, स्वभाववाली आत्मा को बुलाने के लिए धार्मिक पवित्र यज्ञ माना गया है। जैसे अच्छे वृक्ष या खेती के लिए

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funeral

अन्त्येष्टि संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Funeral – brahmacharya vigyan

  इसका नाम नरमेध, पुरुषमेध या पुरुषयाग भी है। यह मृत्यु के पीछे उसके शरीर पर किया जाता है। संसार में प्रचलित अन्य पद्धतियों में षवदाह की वैदिक पद्धति ही सर्वश्रेष्ठ पद्धति है।विश्वभर के लोग मरने पर मृतक शरीर को पृथ्वी, जल, अग्नि व वायु इन तत्वों में से किसी एक की भेंट कर देते

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prevention of dreams

स्वप्नदोष का निवारण – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Prevention of dreams – brahmacharya vigyan

  वर्तमान समय में कामुकता अत्यधिक बडती जा रही हे, आज के युवा संयम का पालन नहीं कर रहें हें जिसके कारण आज गुप्त रोग अत्यधिक बड़ता जा रहा हें। काम वासना के विकार हमारें शरीर को हिलाकर रख देते हें , हमें शक्तिहीन व निस्तेज बना देतें हें , शरीर में जहर घोल देतें

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renunciation ceremony

संन्यास संस्कार – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Renunciation ceremony – brahmacharya vigyan

  संन्यास = सं + न्यास। अर्थात् अब तक लगाव का बोझ जो उसके कन्धों पर है, उसे उठाकर अलग धर देना। मोहादि आवरण पक्षपात छोड़ के विरक्त होकर सब पृथ्वी में परोपकारार्थ विचरना।संन्यास ग्रहण के प्रथम प्रकार को क्रम संन्यास कहते हैं। जिसमें क्रमश: ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ होके संन्यास लिया जाता है। द्वितीय प्रकार

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student morning

विद्यार्थी प्रातःकाल – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Student morning – brahmacharya vigyan

  विद्यार्थी प्रातःकाल सूर्य उदय होने से एक घण्टा पहले शैया त्यागकर शौचादि से निवृत हो व्यायाम करे या वायु-सेवनार्थ बाहर मैदान में जावे। सूर्य उदय होने के पाँच-दस मिनट पूर्व स्नान से निवृत होकर यथा-विश्‍वास परमात्मा का ध्यान करे। सदैव कुऐं के ताजे जल से स्नान करे। यदि कुऐं का जल प्राप्‍त हो तो

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