green park cancer

ग्रीवा परक कैंसर – गुप्त रोग ज्ञान – green park cancer – gupt rog gyan

कौन सी महिला पर ग्रीवापरक कैंसर का खतरा बना रहता है?
जिन महिलाओं को ग्रीवा परक कैंसर का खतरा रहता है वे हैं (1) जिनके सम्भोग के कई साथी होते हैं (2) जो किशोरावस्था या बीस वर्ष की कम आयु से यौनपरक सम्भोग शुरू कर देती हैं। (3) जिनकी जननेन्द्रिय पर मस्से रह चुके हों या यौन सम्बन्धों से फैलने वाले संक्रामक रोगों से लम्बे समय से ग्रस्त हों।
ग्रीवापरक कैंसर के लक्षण क्या हैं?
प्रारम्भिक स्थिति में, ग्रीवापरक कैंसर के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। लक्षण तब दिखते हैं जब कैंसर के सैल आसपास की कोशिकाओं में घुसना शुरू कर देते हैं। सबसे सामान्य लक्षण हैं- असामान्य स्राव। नियमित माहवारी पीरियडस के बीच रक्तस्राव शुरू हो सकता है या खत्म हो सकता है अथवा यौन सम्भोग के बाद भी हो सकता है। माहवारी रक्तस्राव पहले की अपेक्षा लम्बी अवधि तक हो सकता है और सामान्य से भारी हो सकता है। योनि से होने वाले स्राव का बढ़ जाना ग्रीवा परक कैंसर का एक कारण होता है। ये लक्षण कैंसर के भी हो सकते हैं एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी अन्य समस्या के कारण भी हो सकते हैं। डाक्टर ही सही कारण बता पाते हैं। अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई पड़े तो महिला के पास जाना जरूरी होता है।
क्या ग्रीवापरक कैंसर से बचा जा सकता है?
हां, बचा जा सकता है, यदि हम ग्रीवा से होने वाले स्राव स्मीयर या पांप स्मीयर का नियमित टेस्ट करवाते रहें तो ग्रीवा में होने वाले बदलाव का जल्दी पता चल जायेगा जिससे इलाज सम्भव है।
ग्रीवा का स्मीयर (मैल) या पैप स्मीयर टैस्ट क्या होता है?
महिला की ग्रीवा के स्वास्थ्य का परीक्षण करने के लिए यह एक सरल सा परीक्षण है। इसे स्पीयर टैस्ट इसलिए कहते हैं कि डाक्टर या नर्स ग्रीवा से थोड़ा सा सैम्पल लेते हैं और उसे शीशे की स्लाइड पर (स्मीयर) पोत देते हैं ताकि माइक्रोस्कोप से उसका अध्ययन कर सकें।
स्मीयर टैस्ट किसे करवाना चाहिए?
सम्भोग करने वाली महिलाओं को हर 3 से 5 साल के भीतर स्मीयर टैस्ट करवाना चाहिए।
सम्भोग न करने वाली महिला को क्या स्मीयर टैस्ट करवाने की जरूरत होती है?
सम्भोग न करने वाली महिलाओं में ग्रीवा परक कैंसर अत्यन्त दुर्लभ है इसलिए अधिकांश संस्तुतियां यही कहती है कि सम्भोग के बिना महिला को इस टैस्ट की जरूरत नहीं।
पैप स्मीयर कैसे किया जाता है?
हल्का गर्म वक्ष्ण यन्त्र योनि में डाला जाता है ताकि दोनों दीवारों को अलग करके डाक्टर ग्रीवा को देख सके। लकड़ी की चिमटी (जिह्ववा दबाने वाली चिमटी से भी पतली) को ग्रीवा में घुमाया जाता है और स्मीयर को शीशे की पट्टी पर डाल दिया जाता है।
स्मीयर टैस्ट करवाने का श्रेष्ठ समय कौन सा होता है?
एक पीरियड से दूसरे पीरियड के ठीक आधे या बीचों बीच वाले दिन यह टैस्ट करवाना सबसे श्रेष्ठ है। इस समय ग्रीवा से सैल का सैम्पल लेना बड़ा सरल होता है।
ग्रीवा परक कैंसर से बचाव के लिए क्या कोई वैक्सीन उपलब्ध है?
हां, ग्रीवा परक कैंसर के 70 प्रतिशत रोगियों को होने वाले हॉरमुन पैपिल्लोमा नामक वाइकस से बचाव के लिए अब (एच पी वी) वैक्सीन उपलब्ध हो गई है।
एच पी वी वैक्सीन किसे देना चाहिए?
यह वैक्सीन 9 से 26 वर्ष की आयु की लड़कियों और महिलाओं के लिए होता है। वाइरस होने से पहले दिए जाने पर यह काम करता है।
एच पी वी वैक्सीन कैसे दिया जाता है?
यह वक्सीन तीन महीने में इंजैक्शन द्वारा दी जाती है।
शरीर पर उसके क्या प्रभाव हो सकते हैं?
इसमें दर्द, सूजन, खुजली, इंजैक्शन वाली जगह पर लाली, बुखार चक्कर और घबराहट हो सकती है।
ग्रीवापरक कैंसर के लिए वैक्सीन पाने वाले हर किसी का क्या बचाव हो सकता है?
हो सकता है कि यह वैक्सीन हर किसी को बचा न सके और ग्रीवा पर कैंसर के सभी प्रकारों का इससे बचाव नहीं होता, इसलिए नियमित रूप से इसका परीक्षण होते रहना जरूरी है।

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