उम्र बढने के साथ पुरूषों में सैक्स से संबंधित कई तरह की समस्याएं उतपन्न होने लगती है। हालांकि पुरूषों में सैक्स क्षमता में कमी उसके बढती हुई आयु के कारण होने वाली शारीरिक समस्याओं से होता है लेकिन अधितकर मामलों में यह पुरूषों के शरीर में टैस्टोरेटोन के स्तर कम होने से होता है।
उम्र बढने के साथ पुरूषों में निम्नलिखित सैक्स समस्याएं होने की संभावना रहती है;
- सैक्स के प्रति रूची में कमीः पुरूषों में सैक्स करने की इच्छा कम जाती है और उसे उत्तेजित होने में कठिनाई होने लगती है।
- नपुंसकता की समस्याः इसमें पुरूष में नपुंसकता के लक्षण दृष्टिगोचर होने लगते है।
- विर्य स्खलन में देरीः विर्य स्खलन होने में देर लगता है और व्यक्ति खुद को कम उत्तेजित महसूस करता है।
- उम्र बढने के साथ पुरूषों में मानसिक समस्याएं उतपन्न होने के साथ -साथ हार्मोंस संतुलन भी बिगड़ने लगता है जिसे पुरूषों की रोजनोवृति के नाम से जाना जाता है। पुरूषों में रोजनोवृति होना एक विवादास्पद विषय है क्योंकि मेडिकल साइंस का इस विषय पर विभिन्न मत है।ं लेकिन दूसरे शब्दों में इसे हम पुरूषों में टैस्टोरेटॉन हार्मोंस के उत्पादन में कमी कह सकते है। टेस्टोस्टोरेन पुरूषों के सैक्ससुल स्वास्थ्स में एक निर्णायक भूमिका निभाता है। किशोरावस्था में यह हार्मोंन्स अपने चरम सीमा पर होता है लेकिन उम्र बढने के साथ -साथ शरीर में इस हार्मोंस की भी कमी होने लगती है। 50 की आयु सीमा लांघने के बाद कोई भी व्यक्ति अपने शरीर के सैक्सुअल प्रतिक्रिया में आए बदलावों को अनुभव कर सकता है। पुरूषों को उत्तेजित होने में काफी समय लगने लगता है और उसमें देर तक उत्तेजित रहने और वीर्य स्खलन की समस्याएं भी पैदा हो जाती है। बढती उम्र से जुड़ी हदृय रोगों की समस्याए, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और तनाव आदि की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए खाई जाने वाली दवाएं भी पुरूषों के सैक्सुअल क्षमता और रूची को प्रभावित करता है।
उम्र बढने के कारण सैक्सुअल जीवन में गिरावट करने वाली अन्य बीमारिया
- हृदय रोग की अवस्थाः अगर आप हृदयघात की समस्या से पीड़ित रहे हैं तो डॉक्टर आप को कुछ समय के लिए सैक्स संबंध बनाने से बचने की सलाह दे सकता है। वैसे हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति एक सामान्य व्यक्ति की तरह अपने सैक्स जीवन का आनंद उठा सकता है। अगर आपको सैक्स करने में किसी तरह की कठिनाई का अनुभव हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपेक करे।
- अर्थराईटिस एवं जोड़ो का दर्दः घुटनो और शरीर के अन्य जोड़ो में दर्द होने पर सैक्स करना एक अग्नि परीक्षा के सामान हो जाता है इसलिए ऐसे लोगों को सैक्स करने के लिए वैसे आसनों का प्रयोग करना चाहिए जिसमें शरीर के जोड़ों पर कम से कम दबाव पड़ता हो। दर्द को दूर करने के लिए पेनकिलर का इस्तेमाल करे और अपने डॉक्टर से मिलकर पेन मैनेजमेंट के तरीके और विधिया सीखकर उसे अपनाने की कोशिश करे। अगर आप पीठ दर्द की समस्या से पीड़ित है तो सैक्स के समय पीठ पर दबाव कम करने के लिए अपने नितंब की नीचे तकिए का प्रयोग करे।
- तनाव, निराशा और चिंता जैसी मानसिक अवस्था भी सैक्स की क्षमता और रूची में कमी का कारण बनता है।
डायगनोस्टिक जांच के बाद शरीर में टेस्टोटेस्टेरॉन के कम स्तर की पुष्टी होने पर सैक्स क्षमता में वृद्धी करने के लिए टेस्टोस्टेरॉन रिपलेसमेंट थैरेपी भी अपनाई जा सकती है। पुरूषों में सैक्स क्षमता में कमी, तनाव और चक्कर व पुरूष रोजनोवृति होने जैसे लक्षणंों के प्रकट होने पर टेस्टोस्टेरॉन रिपलेस्मेंट थैरेपी का सहारा लिया जाता है। इसके इलाज में टेस्टासटेरॉन का खुराक पुरूषों में इंजेक्शन या दवा के द्वारा दिया जाता है। इलाज के इस विधि के बहुत सारे साइड एफैक्ट भी होते हैं और इसके स्थाई उपचार के लिए अब तक कोई शोध भी नहीं किया जा सका है।
उम्र बढने के साथ होने वाली ब्हुत सी सैक्स संबंधी समस्या मानसिक या शरीर के किसी अन्य बीमारियों के कारण होता है। ऐसी अवस्था में मरीज को किसी तरह की दवा देने के अपेक्षा मरीज को किसी प्रोफैशनल काउसेलर से काउंसेलिंग कराया जाना ज्यादा उपयोगी समझा जाता है।