dakshin disha ke dosh

दक्षिण दिशा के दोष – वास्तु और स्वास्थ्य – dakshin disha ke dosh – vastu aur swasthya

दक्षिण दिशा का प्रतिनिधि ग्रह मंगल हैं.मंगल ग्रह कालपुरुष की कुण्डली अनुसार बायां सीना, बायां फेफढ़ा और गुर्दा होता हैं. जन्म कुण्डली अनुसार मंगल ग्रह दशम भाव का कारक भी माना गया हैं. वास्तु के नियमों के अनुसार मंगल ग्रह का शुभ-अशुभ फल दक्षिण दिशा को देता हैं. दक्षिण दिशा में अत्यंत सावधानी रखने की आवश्यकता होती हैं .

(१)- यदि इस दिशा में निम्न दोष स्थित होते हैं तो मृत्यु सम कष्ट प्राप्त होने की संभावना वास्तु शास्त्र बताता हैं. शरीर का मध्य भाग में नाना प्रकार के दोष उत्पन्न होने लगते हैं.

(२)- यदि घर के दक्षिण दिशा में कुआँ, दरार, कचरा, कुढादान, पुराना कबाढ़ हो तो घर के मालिक अर्थत ग्रह स्वामी को दिल की बीमारी की आशंका रहती हैं वह वहमी भी हो सकता हैं, जोड़ों का दर्द, खून की कमी, पीलिया, आँखों की बीमारी और हाजमें की परेशानी का सामना करना पढ़ता हैं.

(३)- यदि घर का दक्षिण दिशा का भाग सबसे नीचा हैं तो धन अस्पतालों आदि स्थानों में बिना कारण के खर्च होगा, घर से बरकत बिलकुल खत्म होने लगती हैं.

(४)- यदि मुख्य द्वार नैऋत्यमुखी अर्थात दक्षिण-पश्चिम हो तो अचानक कष्ट एवं व्याधियां तथा दुर्घटनाओं का सामना करना पढ़ता हैं. व्यय अधिक व् बिना कारण के होता हैं व्यर्थ भ्रमण के कारण मानसिक परेशानी का सामना करना पढ़ता हैं.

(५)-‌ यदि दक्षिण भाग नीचा हो और उत्तर दिशा से अधिक खाली स्थान हो, तो घर की महिलायें सदा अस्वस्थ रहेंगी. वे उच्च रक्तचाप, चोट, पाचनकिर्या की गढ़बढ़ी, मासिकधर्म में दोष खून की कमी आदि रोगों का शिकार बनी रहेंगी, हमेशा असंतुष्टि का माहोल रहेगा…

(६)- यदि दक्षिण दिशा में कुआँ, या जल का स्थान हो तो अचानक दुर्घटनाओं का सामना करना पढ़ता हैं.

उपाय-

यदि दक्षिण भाग ऊँचा हो तो घर के लोग स्वस्थ एवं प्रसन्न रहेंगे.अतः दक्षिण भाग हमेशा पूरे घर से ऊँचा रखें. परिवार के सभी सदस्य मिलकर श्री हनुमान जी की उपासना, व्रत पूजा करें. दक्षिण मुखी घर का जल हमेशा उत्तर-पूर्व के कोने से अर्थात ईशान कोण से बाहर निकालें. दक्षिण द्वार पर मंगल यन्त्र की प्रतिष्ठा करें. दक्षी के कमरें ऊँचे रखें. तथा घर का फर्श दक्षिण भाग का ऊँचा होना जरूरी हैं. प्रति मंगलवार श्री हनुमान चालीसा का पाठ अनिवार्य रूप से करने से विपत्तियों का नाश होता हैं.

दक्षिण दिशा के दोष – dakshin disha ke dosh – वास्तु और स्वास्थ्य – vastu aur swasthya

 

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