पृथ्वी के प्र्राणियों के लिए सूर्य का बहुत ज्यादा महत्व है।
समस्त धरा पर निवास कर रहे प्राणि जगत हेतु सूर्य जीवन प्रदाता है।
सूर्य वह पिंड या ग्रह है जिससे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। सूर्य से प्राप्त ऊर्जा ही है जो इस संसार को चलायमान बनाए हुए है।
सूर्य को भगवान विष्णु के बाद इस प्राणि जगत का पालक माना गया है।
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना गया है।
इसे सौर मंडल का प्रमुख ग्रह कहा गया है। सूर्य इतना विशालकाय और ऊर्जावान ग्रह है जिससे हमारी पृथ्वी ऊर्जावान और ऊष्मावान होती है।
ज्योतिष में सूर्य को कुछ कार्यों के कारक की संज्ञा दी गई है जैसे, औषधि और पारिवारिक संबंधों में पिता का कारक सूर्य है।
शरीर में हड्डी का कारक सूर्य है। स्वाध्याय, ऊर्जा, चिकित्सक और अधिकारी वर्ग, समस्त प्रशासनिक विचार, सरकारी तंत्र, दायां नेत्र, दिन, सिर, पेट, मस्तिष्क, हृदय, रक्त चाप, ज्वर, पित्तज रोग, क्षय रोग आदि सूर्य के अधीन हैं।
सूर्य को विज्ञान माना गया है क्योंकि यह ऊर्जा, ऊष्मा, प्रकाश, औषधि का कारक है।
ज्योतिष शास्त्र पूर्ण रूपेण वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। इसे विदेशी विद्वानों ने भी स्वीकार किया है।
सूर्य के क्षेत्र को विस्तार से विद्वानों ने समझा है। सूर्य की गति के फलस्वरूप ही दिन रात बनते हैं।
सूर्य पूर्व दिशा से उदित होकर पश्चिम में अस्त हो जाता है।
सूर्य में औषधीय गुण पाया जाता है।
सूर्य जीवन प्रदाता है। – soory jeevan pradaata hai. – वास्तु और स्वास्थ्य – vastu aur swasthya