किसी भी घर, आॅफिस या उद्योग को वास्तु सम्मत बनाने में ऐसे अनेकानेक बिंदु एवं नियम आते हैं जब कि एक नियम मानें तो दूसरे नियम की उपेक्षा होती है। किसी भी घर या आॅफिस को पूर्णतया वास्तु सम्मत बनाना तो संभव ही नहीं हो पाता। कई बार परिस्थितिवश भी वास्तु नियमों का पालन कठिन या असंभव हो जाता है। ऐसी स्थिति में जो नियम अधिक फलदायी होते हैं, उन्हें चुनना ही उचित है। यदि ईशान व नैर्ऋत्य कोण में ठीक से नियमों का पालन कर लिया जाए, तो वह स्थान अनुकूल और उपयोगी हो सकता है। किन नियमों का पालन कैसे करें, आइए एक दृष्टि में देखें। ईशान बड़ा व खुला होना: ईशान में वास्तु पुरुष का मस्तिष्क माना गया है। यदि ईशान बंधा हो, या स्थान कम या कटा हो, तो मस्तिष्क काम नहीं करता। निर्णय गलत हो जाते हैं। मेहनत करके भी लाभ नहीं होता। इस कोण को सर्वदा स्वच्छ व सुगंधमय रखना चाहिए ताकि घर में अधिक से अधिक ऊर्जा का प्रवेश हो। इस कोण में जल स्रोत या फव्वारा भी उŸाम होता है, लेकिन गंदे पानी का निकास इस ओर से नहीं होना चाहिए। इसके अतिरिक्त यह कोण अन्य सभी स्थानों से नीचा होना चाहिए।
वास्तु के कुछ उलझे नियम – vastu ke kuch uljhe niyam – वास्तु शास्त्र के अनुसार घर – vastu shastra ke anusar ghar