bachchon ke bhavishy ke lie apanaen ye vaastu upaay

बच्चों के भविष्य के लिए अपनाएं ये वास्तु उपाय – वास्तु शास्त्र टिप्स – bachchon ke bhavishy ke lie apanaen ye vaastu upaay – vastu shastra tips

अगर बच्चों का मन पढ़ाई में ठीक से नहीं लग रहा है या फिर उनकी एकाग्रता नहीं बन पा रही है तो कई बार इसके पीछे वास्तु दोष भी होते हैं। कुछ सरल वास्तु उपायों को अपनाकर आप बच्चे की सफलता में अपना योगदान दे सकते हैं। इन वास्तु उपायों का सकारात्मक असर जल्दी ही आपको बच्चों के व्यवहार में दिखाई देने लगेगा।

बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए यह बेहद जरूरी है कि पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ वह अन्य गतिविधियों में भी सक्रिय रहे। उसका विजन और माइंडसेट क्लियर हो कि उसे भविष्य में क्या करना है। बच्चों के चहुंमुखी विकास के लिए उसे सही मार्गदर्शन और परिवेश के साथ-साथ सही वातावरण देना भी बेहद जरूरी होता है।

अगर आपका बच्चा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है। वह खुद भी अपने प्रयासों से पर्याप्त खुश नहीं हो रहा है तो ऐसे में उसकी प्रगति और विकास के लिए आप वास्तु की मदद भी ले सकते हैं।

यह सच है कि पेरेंट्स बनने के बाद से ही बच्चों के भविष्य की चिंता हर किसी को सताने लगती है। मन में ढेरों सवाल उठते हैं कि किस तरह से हम अपने बच्चे के भविष्य को सुरक्षित कर सकें। कैसे हम उसे सर्वश्रेष्ठ करियर चुनने के लिए प्रेरित करें। कई बार सबकुछ ठीक होते हुए भी, पढ़ाई में कुशाग्र होने के बावजूद बच्चे अपनी पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाते हैं।

उनका विजन क्लियर नहीं हो पाता कि उन्हें आगे चलकर क्या करना है। इसकी वजह आपके घर में वास्तु अंसतुलन भी हो सकता है। वास्तु दोष को दूर करके आप इस फर्क को महसूस कर सकते हैं।

क्या आप चिंतित हैं बच्चों के इस व्यवहार से

आपके बच्चे का विजन क्लियर नहीं है। वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहा है। भविष्य को लेकर वह हमेशा असमंजस की स्थिति में रहता है। पढ़ने बैठता है तो ध्यान सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर या दोस्तों की तरफ जाता है। एकाग्रता की कमी है और स्पष्टता का भी अभाव है। किसी से बात करते हुए हिचकिचाता है। अपने पेरेंट्स की बात नहीं सुनता।

ये हो सकते हैं कारण

उसके कमरे की दक्षिण-पश्चिम दिशा में गेम या खेलकूद का सामान रखा होना इसकी वजह हो सकता है। स्टडी के जोन में दोस्तों के साथ मस्ती की तस्वीरों का होना। उसकी स्टडी टेबल मनोरंजन के जोन माने जाने वाले पूर्व या उत्तर-पूर्व में होना। बच्चे का कमरा दक्षिण-पश्चिम में स्थित होना। उत्तर-पूर्व कटा होना या लाल रंग का होना। कमरे का पश्चिमी कोना कटा होना। अग्नि तत्व का व दक्षिण जोन का असंतुलित होना।

इन वास्तु उपायों पर करें अमल

वास्तुशास्त्र में हर कार्य के प्रतिपादन के लिए अलग दिशा क्षेत्र है। बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए इन वास्तु के उपायों पर अमल करें।
अगर आपके बच्चे का विजन क्लियर नहीं है, तो आप उसका कमरा उत्तर-पूर्व में बनाएं। यहां रहने से मन में नए विचार आते हैं। बच्चा अपनी बात को किसी के भी समक्ष स्पष्टता से प्रस्तुत कर पाता हैं यहां रहने से उसकी सम्प्रेषण क्षमता बढ़ने के साथ-साथ उसका विजन क्लियर रहता है। साथ ही हंस पर विराजमान सरस्वती माता का चित्र भी लगाएं।
बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए यह बेहद जरूरी है कि उसकी कम्यूनिकेशन स्किल बेहतर हो। जब भी वह पूर्व जोन में वाद-विवाद की प्रैक्टिस करेगा तो उसकी कम्यूनिकेशन स्किल बेहतर होगी।
उसके कमरे में दक्षिण-पश्चिम में गेम्स, दोस्तों की तस्वीरें या फिर मनोरंजन का कोई अन्य सामान रखने से परहेज करें। यहां पर जो भी सामग्री होगी उसी ओर उसका ध्यान केंद्रित होगा। इसीलिए उसकी रुचि व विषय से संबंधित चीजों को इस जोन में रखें।
वास्तु मुताबिक हो कमरे की सजावट

बच्चे के कमरे में उसके पलंग को पूर्व-पश्चिम धूरी पर रखें। उनकी स्टडी टेबल इस तरह रखी होनी चाहिए कि पढ़ते समय उनका मुख पूर्व दिशा में ही रहे।
सोते समय पैर दक्षिण की ओर न करें। कमरे की दीवारों पर हल्के रंगों जैसे हरा, नीला या फिर हल्के पीले या ऑफ वाइट कलर का पेंट करवाना चाहिए।
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उनके कमरे के पर्दों का रंग भी हरा, नीला या फिर पीला रखें।
उत्तर-पूर्व में उसके पसंदीदा विषय से जुड़ी कोई तस्वीर लगाएं।
बच्चों का बेड लगाते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि उसका सिर शौचालय की ओर न हो। शौचालय अपशिष्ट पदार्थों के विसर्जन की जगह है इस ओर सिर करके सोने से बच्चे का ध्यान पढ़ाई से हट जाता है।

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