ho jaenge hairaan

हो जाएंगे हैरान, इसीलिए लिया था श्रीहरि ने यह अवतार – वास्तु शास्त्र टिप्स – ho jaenge hairaan, iseelie liya tha shreehari ne yah avataar – vastu shastra tips

कूर्म अवतार को ही ‘कच्छप अवतार’ कहते हैं। पद्म पुराण के अनुसार कूर्म अवतार में उनकी पीठ पर, मंदराचल पर्वत को रखा गया और फिर क्षीरसागर में देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया। जिसमें से कई रत्न और देवी लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। समुद्रमंथन के समय ही श्रीहरि ने मोहिनी रूप भी धारण किया था।

श्रीहरि के कच्छप अवतार के बारे में अलग-अलग मत हैं। नरसिंहपुराण के अनुसार कूर्मावतार द्वितीय अवतार, जबकि भागवतपुराण (१.३.१६) के अनुसार ग्यारहवां अवतार था।

वास्तु और कछुआ

शास्त्रों में कच्छप अवतार की पीठ का घेरा एक लाख योजन का वर्णित किया गया है। कछुआ वास्तु दोष का निवारण का भी प्रतीक माना जाता है। वास्तु और फेंगशुई में महत्वपूर्ण माना गया है।

कछुए को घर में रखने से कामयाबी के साथ-साथ सुख-समृद्धि । इसे अपने ऑफिस या घर की उत्तर दिशा में रखें। कछुए के प्रतीक को कभी भी बेडरूम में न रखें। कछुआ की स्थापना हेतु सर्वोत्तम स्थान ड्राईंग रूम है।

घर में कछुए की प्रतिमा रखने से हवा एवं जल के सभी दोष मुक्त होते हैं तथा अच्छी ऊर्जा घर में प्रवेश करती है। उत्तर दिशा में कछुए को स्थापित करना शुभ माना जाता है। इसे घर की पूर्व दिशा में भी रखा जा सकता है।

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