चारदीवारी- मकान में चारदीवारी का निर्माण करते समय हमेशा ध्यान रखें कि दक्षिण-पश्चिम दिशा की चारदीवारी उत्तर व पूर्व दिशा की अपेक्षा मोटी व ऊँची रखें! 
 निर्माण कार्य चरणों में- यदि मकान में निर्माण कार्य चरणों में संपन्न कराने की योजना है, तो वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार ही संपन्न कराएँ! वास्तु के अनुसार सर्वप्रथम पश्चिम या दक्षिण दिशा में निर्माण कार्य करवाएँ! 
 मकान की ऊँचाई- वास्तु के अनुसार किसी मकान की ऊँचाई कितनी होनी चाहिए, इसका पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए! ऊँचाई का हिसाब निकालने के लिए मकान की चौड़ाई के 16वें भाग में चार हाथ, 96 अंगुल जोड़कर जितना योग हो, उसके बराबर ऊँचाई होनी चाहिए! 
 यदि बहुमंजिली मकान की योजना हो तो पहली ऊँचाई में से 12वाँ भाग कम करके दूसरी मंजिल की ऊँचाई रखें! यही क्रम तीसरी व क्रमशः चौथी मंजिल के लिए भी रखें! तीसरी मंजिल के लिए दूसरी मंजिल से 12वाँ मान कम करें! प्रत्येक मंजिल के लिए यह सामान्य क्रम ऊँचाई के लिए है! 
 यदि इस क्रम से 4, 31/2 , 3 हाथ जोड़ दें, तो यह ऊँचाई उत्तम मध्यम, कनिष्ठ तीन प्रकार की होगी! यदि इस क्रम में भी क्रमशः 4 हाथ में 20, 18, 16, अंगुल तथा 31/2 और 3 हाथ में 27, 21, 15 अंगुल और जोड़ें, तो उत्तम, मध्यम और कनिष्ठ ऊँचाई के तीन-तीन भेद और हो जाएँगे! इस प्रकार कुल 12 भेद होंगे! इनमें 8वाँ व 10वाँ भेद समान होने से 11 भेद ही माने जाएँगे! भवन में ऊँचाई का हिसाब इस तरीके से ही रखना शुभ होता है!
कितनी रखें भवन की ऊँचाई – kitana rakhe bhavan kee uchai – वैदिक वास्तु शास्त्र – vedic vastu shastra







